सरपोंखा के चमत्कारी औषधीय गुण 

➤ इसका बॉटनिकल  नाम टेफरोशिआ पेरपुरा है ,सरपोंखा  प्रायः सभी प्रांतो में उपलब्ध होने  वाला औषधी पौधा  है, इसकी ऊंचाई लगभग  डेढ़ से दो फिट तक होती है ये नदी अथवा सड़क के किनारे आसानीसे उपलब्ध होता है इसके पत्ते लंब  गोलाकार तथा शिराओंसे युक्त होता  है जिसे तोड़ने पर v शेप जैसा दिखाई पड़ता है ,  वैसे तो ये बारहों महीने उपलब्ध होता है परन्तु बरसात में ये अधिक हराभरा होता है ,आयुर्वेदा  अनुसार इसमें दो प्रकार होते है एक गुलाबी फूलों  वाला और दूसरा सफ़ेद फूलों वाला ,औषधीय दॄष्टिकोण  से सफ़ेद फूलो वाला अधिक गुणकारी माना  जाता है। इस पर अगस्त से लेकर फूल आते है तथा इसके बाद छोटी-छोटी फलियां आना प्रारंभ होता हैं फलियों में तीन- से पाँच तक बीज होते हैं। 

liver cirrhosis
सरपोंखा 

औषधोपयोगी भाग 

ईस पौधे के पत्ते ,फूल फल ,जड़ और बीज़ औषधि में प्रयुक्त होता है 

गुणधर्म 

आयुर्वेदानुसार  सरपोंखा उष्णवीर्य , उत्तेजक ,शोथनाशक , पित्तनाशक ,लिवर संबंधित रोगो में हितकारी है , ईससे पेशाब खुलकर आती है ,पित्ताश्मरी,रक्तस्त्राव ,तथा किडनी संबंधित कई रोगों में यह हितकारी है। 

प्रचलित योग 

अश्मरिनाशक काढ़ा ,लिवोटॉन सिरप ,आदी। 

उपयोगी नुस्खें 

  1. लीवर रोग - सम्बंधित रोग ,भूख कम होना ,पाचन शक्ति का कमजोर होना आदी विकारों में इसका पंचांग लगभग पाँच ग्राम लेकर उसे ढाईसौ ग्राम पानी में उबालें जब पचास ग्राम पानी शेष रहे तब उतार कर पिये इस तरह से इसे दिन में दो बार पिने से लीवर संबंधित सभी रोगों में लाभ मिलता है 
  2. पेशाब संबंधित रोग -  जैसे पेशाब में जलन होना ,पेशाब थोड़ी-थोड़ी मात्रा में आना ,पेशाब के साथ खून का आना आदी विकारोंमे इसकी  ताज़ी  जड़ को लगभग पाँच ग्राम की मात्रा में लेकर थोडासा कूट लें और इसे ढाईसौ ग्राम पानी में मिला कर इसका काढ़ा बनायें जब पचास ग्राम शेष रहें तब उतारकर थोडीसी मिश्री मिलाकर दिन में दो-तीन बार कुछ दिन तक पिने से पेशाब संबंधित सभी रोगो में लाभ होता है इसके साथ ही किडनी में अगर छोटा सा स्टोन तो भी वह पेशाब के साथ निकल जाता है। 
  3. व्रण - अगर शरीर पर कोई छोटा मोटा व्रण हो तो इसके ताज़े पत्तोंको पीसकर व्रण पर लगानेसे कुछ ही दिनों में व्र ण ठीक हो जाता है 
  4. बवासीर  - अगर पाइल्स में अधिक खून का स्त्राव ज्यादा मात्रा में हो रहा हो तो इसके ताज़े पत्तोंको दो तीन ग्राम की मात्रा में ग्राम की मात्रा में ताज़े पानी और मिश्री के साथ लेने से आराम मिलता है। 
  5. साथ ही इसके पत्तों की टिकिया बनाकर पाइल्स के मस्सों पर लेप लगानेसे कुछ ही दिनों में पाइल्स के मस्सें सुख जाते है। 
  6. त्वचा के रोग -  रोगो में इसके बीजों का तेल बहुत ही लाभकारी है इसके लिये इसके पचास ग्राम  बीजों को ढाईसौ  ग्राम नारियल अथवा सरसों के तेल में पकाएँ जब बीज जल जाये और केवल तेल शेष रहें तो इसे उतारकर ठंडा होने पर काँच की शीशी में थोडासा कपूर मिलाकर रखें और जरुरत पड़नेपर ईस तेल को त्वचा रोगों पर लगानेसे त्वचा के रोगो में आराम मिलता है. 
  7. श्वेत प्रदर - श्वेत प्रदर में शरपुंखा की जड बहुत ही लाभदायक होती हैं। अगर किसी माता बहन को श्वेत प्रदर की शिकायत हो। तों शरपुंखा की जड दस ग्राम लेकर उसे दो सौ ग्राम पानी में उबालें जब केवल पचास ग्राम पानी शेष रहें तब उतारकर छान कर सुबह शाम सेवन करें। इससे कुछ ही दिनों में श्वेत प्रदर रोग दूर होता हैं।
  8. प्लीहा वृद्धि - प्लीहा की सुजन और वृद्धि में शरपुंखा का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता हैं। इसकी जड दस ग्राम की मात्रा में लेकर इसको ढाई सौ ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं जब केवल पचास ग्राम पानी शेष रहें तब उतारकर छान कर सुबह खाली पेट और शाम को एकबार लेने से प्लीहा की सुजन और वृद्धि ठिक होती हैं।
  9. गुल्म - गुल्मरोग को दूर करने के लिए भी शरपुंखा बहुत ही लाभदायक होता हैं। इसके लिए शरपुंखा का पंचांग बिस ग्राम, अजवायन बिस ग्राम, सेंधानमक पांच ग्राम लेकर सभी को अलग-अलग कुटकर चुर्ण बनाएं और इसको फिर आपस में मीलाकर रखें। इसमें से पांच पांच ग्राम चूर्ण को ताजे छांछ के साथ दिन में दो बार लेने से गुल्मरोग ठीक होता हैं।
  10. सर्वांग शोथ - शरपुंखा के पंचांग का काढ़ा बनाकर उसमें थोडी सी सौंठ मिलाकर दिन में दो तीन बार लेने से सर्वांग शोथ में लाभ मिलता हैं।
  11. कास,श्वास - कास, श्वास में शरपुंखा का पंचांग दस ग्राम, हल्दी, पांच ग्राम,लोंग पांच सभी को थोड़ा थोड़ा कुटकर पानी के साथ काढा बनाकर सुबह-शाम पीने से श्वास, कास, में लाभ मिलता हैं।
  12. आपके प्रश्न हमारे उत्तर
  13. शरपुंखा के तांत्रिक उपाय क्या हैं?
  14. उत्तर- कुंडली में अगर शुक्र देव का फल अशुभ मील रहा हैं तो शुक्र देव को शांत करने के लिए इसकी जड का उपयोग किया जाता हैं। ईसका और एक चमत्कारी प्रयोग तंत्र शास्त्र में देखने को मिलता हैं।यह इस प्रकार है।अगर कोई व्यक्ति सफेद शरपुंखा की जड को विधिपूर्वक सीद्ध करके अपने सीर पर धारण करता हैं तों उसे किसी भी शस्त्र का भय नहीं रहता है।
  15. वात रोग में शरपुंखा का सेवन उपयोगी है? -     उत्तर - जी हां शरपुंखा आयुर्वेदानुसार शरपुंखा सुजन नाशक माना जाता हैं इसका सेवन वात रोगों के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता हैं। इससे वात के कारण शरीर पर आने वाली सुजन ठीक होती हैं।
  16. रक्त की खराबी में शरपुंखा? उत्तर - आयुर्वेदानुसार शरपुंखा में  रक्तशोधक गुण भी होते हैं। अगर किसी कारण शरीर में रक्त दुषीत हों गया है तो। इसके पत्तों का रस लगभग बीस ग्राम सुबह-शाम पीने से रक्त शुद्ध होता हैं।
  17. क्या शरपुंखा कृमी नाशक है? 
  18. उत्तर - जी हां, शरपुंखा में कृमीनाशक गुण भी पाए जाते हैं। इसका पंचांग  और अमलतास का गूदा दोनों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से शरीर के कृमि नष्ट होते हैं।
  19. स्त्रियों के सफेद पानी में शरपुंखा का उपयोग?
  20.  उत्तर - स्त्रीयों के सफेद पानी के स्त्राव में शरपुंखा की ताजी जड दस ग्राम लेकर इसे ठंडे पानी में अच्छी तरह से कुटकर, मसलकर छानकर सुबह-शाम पीने से कुछ ही दिनों में सफेद पानी का बहना बंद होता हैं।