श्योनाक के औषधि उपयोग

Shyonak-ke-fayde


दोस्तों हमारे प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में श्योनाक को अलग ही महत्व प्राप्त हैं। इसके वृक्ष हमारे देश के लगभग सभी प्रांतों में आसानी से मिल जाते हैं। इसे आयुर्वेदा में अनन्य महत्त्व रहा हैं। इसके वृक्ष 15-20 फीट तक उंचे होते हैं कहीं कहीं पर तो इससे भी उंचे इसके वृक्ष देखे गए हैं।
 इसकी पत्तियां तीन से पांच इंच लंबी, दो से तीन इंच तक चौडी, लट्वाकार,लंबाग्र, और चिकनी तथा पत्ते छोटे छोटे दानों से युक्त होते हैं।इसकी पत्तियां त्रीपक्षाकार, द्विपक्षाकार या एक पक्षाकार होती हैं। पुष्प वाहक दंडी दो से तीन फीट तक लंबी, इसपर वर्षा ऋतु में पुष्प आते हैं। इसके पुष्प मांसल बैंगनी रंग के तथा इसमें दुर्गंध भरी होती हैं। जाडे के मौसम में इसपर फलीयां आनी प्रारंभ होती हैं इसकी फलीया लंबी,टेढ़ी, चिकनी और कठोर होती हैं।
 लंबाई में यह एक फीट तक भी हो सकती हैं तथा तीन इंच तक चौडी होती हैं। फलीयों में झील्लीदार पंख से युक्त इसके बिज होते हैं। बसंत ऋतु में इसके सभी पत्तें झड जाते हैं और पेड पर केवल इसकी फलीयां ही लटकती हुई नजर आती हैं।
विभिन्न नाम
बोटेनिकल नाम - Oroxylum indicum
अंग्रेजी नाम - Indian trumpet tree
संस्कृत नाम - श्योनाक
हिंदी नाम - सोनपाठा
मराठी नाम - टेंटू
गुणधर्म
आयुर्वेदानुसार श्योनाक उष्णविर्य, कफ, तथा वात का शमन करने वाला होता हैं। बाहरी शोथ पर इसकी छाल का उपयोग किया जाता हैं।, यह शोथहर,व्रण को ठीक करने वाला, एवं पिडाशामक हैं। यह उष्ण होने के कारण दीपक,पाचक, रोचक, ग्राही तथा कृमीयों का नाश करने वाला होता हैं। यह सुजन को ठीक करता है,साथ ही पेशाब की मात्रा को भी बढ़ाता है। और कफ को बाहर करता हैं। इसका उपयोग विशेषकर वात, कफ और आम के रोगों में कीया जाता हैं। 

प्रचलित योग- दशमुल काढ़ा, दशमुल चुर्ण, दशमुलारिष्ट आदी

औषधीय उपयोग

कान का दर्द ( Earache) - श्योनाक की छाल दो सौ ग्राम लेकर उसे महीन पीसकर ढाईसौ ग्राम तिलों के तेल में डाल दें फिर ईसमे पांचसौ ग्राम पानी मिलाकर इसका तेल सिद्ध करें इस तेल को कांच की बोतल में भरकर सुरक्षित रखें। इस तेल की दो तीन बुंदे कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता हैं।

मुंह के छालें  ( Mouth ulcers) - अगर किसी को मुंह में छालें आएं हो तो श्योनाक की छाल दस ग्राम लेकर इसे सौ ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं जब केवल बिस ग्राम पानी शेष रहें तब ईसको उतारकर छान लें और इस काढे से कुल्ले करें इसी तरह से यह प्रयोग दिन में दो तीन बार करने से मुंह के छालें ठीक होते हैं।

भुक की कमी - जीन लोगों को भुक कम लगती हैं तों श्योनाक की छाल बिस ग्राम लेकर इसे रात को पानी में भिगोकर रखें सुबह ईसको छानकर दिन में दो बार पीएं इससे भुक खुलकर लगती हैं।

अतीसार ( Diarrhea) - अगर किसी व्यक्ति को पानी की तरह बार बार पतले दस्त आते हैं तों श्योनाक की जड की छाल और बेल का गूदा दोनों का रस निकालकर या काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से बार बार आने वाले पतले दस्त ठीक होते हैं।

इसके गोंद के चुर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में दिन में चार पांच बार कच्चे दूध के साथ लेने से भी पतले दस्त ठीक होते हैं।

बवासीर (Piles) - अगर किसी व्यक्ति को बवासीर की शिकायत हो और बवासीर के मस्सों से खून निकल रहा हैं तो श्योनाक की छाल, करंज की छाल, सोंठ और सेंधानमक इन सभी औषधियों को समान मात्रा में लेकर कुट पिसकर चुर्ण बनाएं इस चुर्ण को दो से तीन ग्राम की मात्रा में सुबह, दोपहर और शाम को छांछ के साथ लेने से कुछ ही सप्ताह में बवासीर ठीक होता हैं।

उपदंश  ( Gonorrhoea) - श्योनाक की छाल 50 ग्राम लेकर उसे रात को पानी में भिगोकर रखें सुबह ईसको अच्छी तरह से उसी पानी में पिसलें फिर इसे छानकर इसमें मीश्री मीलाकर सुबह-शाम लगातार एक सप्ताह तक नियमित रूप से सेवन करें इससे उपदंश ठीक होता हैं।

जोड़ों का दर्द (Joint pain) - श्योनाक की जड दस ग्राम और सोंठ दो ग्राम दोनों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं इस काढे को सुबह-शाम पीने से कुछ ही दिनों में जोड़ों का दर्द ठीक होता हैं। इसके साथ ही इसके पत्तों को गर्म करके जोड़ों पर लगाएं इससे जल्द ही लाभ मिलेगा।

ज्वर ( Fever) - श्योंनाक की छाल, सोंठ, बेल फल का गूदा, और अनार के दाने दो दो ग्राम लेकर इसका पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से सभी प्रकार के ज्वर ठीक होते हैं

खांसी ( Cough) - श्योनाक की छाल का चूर्ण एक ग्राम अदरक के रस और शहद के साथ दिन में दो बार लेने से खांसी और दमे के रोगियों को आराम मिलता हैं।