बिच्छू का जहर दुर होगा स्वर्णक्षीरी और अपामार्ग के प्रयोग से

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सत्यानाशी ( स्वर्णक्षीरी) के तांत्रीक प्रयोग



दोस्तों हमारे प्राचीन ग्रंथों में करोड़ों तांत्रिक बनौषधीयों का जीक्र हमें मीलता है हमारे ऋषि मुनियों ने ग्रंथों के माध्यम से हमें अथक दिव्य ज्ञान का भंडार दिया है लेकिन हम उस दिव्य ज्ञान से अनजान होने के कारण उसका लाभ नहीं ले सकते।क्यो की हमे इस तरह का ज्ञान कोई देता ही नहीं या अगर कीसी जानकार व्यक्ति ने हमें इसके बारे में कुछ बताया तों हम बिझी होने के कारण ईस पर ध्यान देते ही नहीं।

दोस्तों सोचने वाली बात ये है कि आज से कुछ वर्षों से पहले रोग चाहे कीतने भी भयंकर हों कीतने भी खतरनाक हो उन सभी का इलाज केवल और केवल आयुर्वेद के उपाय करने से ही होता था, चाहे वह खाने के रुप में हों या फिर औषधि पौधे को धारण करने से हो इससे भयंकर से भयंकर रोग जड से दूर होते थे। आज भी कयी ग्रामीण इलाकों में वैद्यराज के द्वारा कयी भयंकर रोग रोग दूर कीये जाते हैं। हमारे कयी बड़े बड़े लेखकों के द्वारा भी कयी किताबें आयुर्वेदा और तंत्र पर लीखी गई हैं जीस में उन्होंने कयी दिव्य औषधि पौधे के बारे में लिखा है।

 तों दोस्तों कहने का तात्पर्य यह है कि आज भी औषधि पौधों में उतनी ही दिव्य शक्ति मौजूद हैं जैसे पहले थी।फर्क सिर्फ ईतना है कि पहले के समय में लोग उनपर विश्वास करते थे आज के समय में उसमे कमी आयी है। शास्त्र कहते है की मंत्र, तंत्र और औषधी मे जीतना आपका विश्वास है उतना ही बेहतर परीणाम आपको मिलेगा। ईसीलीए पहले हमें अपनी श्रद्धा और विश्र्वास को दृढ करना होगा तभी हमे ईनसे मनचाहा लाभ मीलेगा।

तो दोस्तों हम आपको दो तांत्रिक बुटी के बारे में बतायेंगे एक है  स्वर्णक्षीरी और दुसरी हैं अपामार्ग ये दोनों ही तंत्र मे प्रभावी रूप से कार्य करती हैं। तो दोस्तों सबसे पहले जानते हैं स्वर्णक्षीरी के बारे में।
स्वर्णक्षीरी:
 दोस्तों स्वर्णक्षीरी का पौधा आसानी से कही पर भी मील जाता हैं ये बरसात के मौसम में स्वयंजात रुप से उगता है, ईसके पत्तों के कीनारे पर कांटे होते हैं ईसपर ठंड के मौसम में पिले रंग के पुष्प आते हैं और फलागमन होता हैं, फल भी कांटों से युक्त होता हैं फल पकने पर उसके अंदर राई के समान बिज नीकलते है।
 तंत्र शास्त्र के अनुसार ये पौधा बिच्छू का जहर दुर करने में बहुत ही फायदेमंद है ईस पौधे को शुभ नक्षत्र में न्यौता देकर ईसकी जड़ विधीपुर्वक अपने घर लेकर आएं और घर में सुरक्षित पवित्र स्थान पर रखें । जब भी कीसी व्यक्ति को बिच्छू दंश करें तो ईस सीद्ध जड को तुरंत दंश के स्थान पर पानी के साथ पिसकर लगाये और थोडा पिलायें तो बिच्छू का जहर पांच मिनट के अंदर ही पुर्ण रूप से उतर जायेगा और दर्द के मारे तडपता हुआ व्यक्ती भी ठीक हो जाएगा इसमें कोई संदेह नहीं है।
आपके प्रश्न हमारे उत्तर

सत्यानाशी की जड कीस काम में आती हैं?
उत्तर - सत्यानाशी की जड डिप्थेरीया तथा बवासीर के मस्सों को ठीक करने में काम आती हैं।

सत्यानाशी के पौधे का अन्य नाम क्या हैं?
उत्तर - सत्यानाशी के पौधे का अन्य नाम स्वर्णक्षीरी, तथा बिलायत हैं।

सत्यानाशी का तेल केसे बनता हैं?
उत्तर - सत्यानाशी का तेल इसके बिजों से मशीन द्वारा निकाला जाता हैं । अथवा इसके बिजों को बारीक पीसकर इसको पानी में उबालें जब केवल तेल शेष रहें तब उतारकर छान लें और कांच की शीशी में भरकर रख लें। यह कयी प्रकार की औषधि उपयोग के लिए फायदेमंद होता हैं।

सत्यानाशी का आम नाम ?
उत्तर - सत्यानाशी का आम नाम स्वर्णक्षीरी और बिलायत हैं।

 स्वर्णक्षीरी के तांत्रिक उपाय?
उत्तर - स्वर्णक्षीरी की सीद्ध जड को पानी में घिसकर बिच्छू के दंश पर लगाने से बिच्छू का जहर दुर होता हैं।


अपामार्ग के तांत्रीक प्रयोग


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दोस्तों अपामार्ग का पौधा भी आपको आसानी से मिल जायेगा ईसके पौधे भी बरसात के मौसम में स्वयंजात से उत्पन्न होते हैं इसमें दो प्रजातियां पाई जाती है एक है सफेद अपामार्ग और दुसरी हैं लाल अपामार्ग आपको लाल अपामार्ग का उपयोग करना है।  

ईसकी जड़ को रवि-पुष्य योग मे  न्यौता देकर विधीपुर्वक अपने घर पर लेकर आएं और गूगल की धुप देकर ताबिज में भरकर अपने गले में या कमर में धारण करने से बिच्छू पास भी नहीं आयेगा और अगर आप गलती से बिच्छू के संपर्क में आ गये और बिच्छू ने काट भी लीया तो भी उसका जहर आपके शरीर में चढ़ ही नहीं पायेगा यह बिल्कुल सत्य है इसमें कोई संदेह नहीं है। तों दोस्तों ईन दोनों पौधे के दिव्य चमत्कार को जरूर अनुभव करें और ईसका लाभ आप भी ले और दुसरो पर भी परोपकार करें।

आपके प्रश्न हमारे उत्तर

अपामार्ग का दुसरा नाम क्या हैं? 
उत्तर - अपामार्ग का दुसरा नाम चिरचिटा, लटजीरा, आंधीझाडा हैं।

लटजीरा का वैज्ञानिक नाम क्या हैं?
उत्तर - लटजीरा का वैज्ञानिक नाम है Achyranthes aspera.

चिरचिटा के फायदे इन हिंदी
 उत्तर - चिरचिटा के कयी फायदे हैं, जैसे कि दांतों के रोग, पेशाब के रोग, बवासीर के मस्से, बुखार, पथरी आदी।

अपामार्ग से पथरी का ईलाज?
उत्तर - आयुर्वेदानुसार अपामार्ग मुत्रल तथा पथरीनाशक माना जाता हैं। इसकी जड पांच ग्राम लेकर उसे अच्छी तरह से पानी में मसलकर घोंट कर छान कर सुबह-शाम पीने से कुछ ही दिनों में गुर्दे की पथरी टुटकर निकल जाती हैं।

चिरचिटा के दुष्प्रभाव?
उत्तर - हमारे आयुर्वेद ग्रंथों में चिरचिटा के कीसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं देखे गए हैं। फीर भी आप अपने प्रकृति के अनुसार और उचित मात्रा में इसका सेवन करें तो ठीक रहेगा।

अपामार्ग क्षार के फायदे?
उत्तर - आयुर्वेदानुसार अपामार्ग का क्षार, तिक्ष्ण, मांस नाशक, दमा, खांसी, श्वास, पेटशुल तथा किडनी स्टोन में फायदेमंद होता हैं। यह तिक्ष्ण होने के कारण इसका सही और सीमित मात्रा में ही प्रयोग करें अन्यथा हानी भी हो सकती हैं।

जुएं में जीत के लिए अपामार्ग का प्रयोग ?
उत्तर - तंत्रशास्त्र के अनुसार जब दिवाली के दिन हस्त नक्षत्र आएं उससे एक दिन पहले तांबे के पात्र में थोड़ा सा पानी और एक धुप लेकर अपामार्ग के पौधे के पास जाकर उसे निमंत्रण दें। और दोनों हाथ जोड़कर मनोकामना पुर्ती के लिएं प्रार्थना करें और घर वापस लौट आएं। फीर दुसरे दिन यानी जब दिल्ली के दिन हस्त नक्षत्र हो उस दिन सुबह पवित्र होकर इस पौधे के पास जाएं और उत्तराभिमुख बैठकर इसकी जड को निकालकर अपने हाथों में लेकर फीर एक बार मनोकामना पूर्ति के लिएं प्रार्थना करें और इस जड़ को अपने घर लाएं। एक बात का ध्यान रखें की आपको आते या जाते समय कोई टोकें नहीं । फीर इस जड़ को घर में कीसी प्लेट में शुद्ध स्थान पर रखकर एक बार गुगल की धुनी दें तो यह जड़ सर्वथा सिद्ध हो जाएगी। फीर इस जड़ को सप्तरंगी धागे में पिरोकर अपने बाएं हाथ की भुजा में बांधकर जुआं खेलने से जुएं में निश्चीत ही जीत होती है। इसमें से एक हिस्सा टीसी मंदिर में दान करें और दुसरा हिस्सा गरीबों में बांट दें । तभी यह जड़ सदा सिद्ध बनी रहेगी। यह तंत्रशास्त्र का बहुत ही कारगर प्रयोग है। इसे एक रिसर्च के तौर पर प्रयोग करके देखें।अगर सफलता मील गयी तो इसे  आपकी किस्मत ही समझे।