यंत्रों को ऐसे सिद्ध करें भाग -1


Yantra-sidhhi-ke-upaay


नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है

दोस्तों आज हम आपको यंत्रों को सिद्ध करने की सही विधि बतायेंगे जीससे आप किसी भी यंत्र को अपने घर पर ही सिद्ध कर सकते हैं। ईस प्रकार से अगर आप यंत्रों को सिद्ध करेंगे तो आपको किसी भी यंत्र को खरीदने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।

दोस्तों आजकल लोग कयी तरह के यंत्र प्राप्त करने के लिए हजारों रुपयें  खर्च करते हैं लेकिन उनको उन यंत्रों से मनोवांछित फल प्राप्त नहीं होता है और उनके रुपयें युहीं बर्बाद हो जाते हैं।और आप जीन कष्टों का निवारण करना चाहते हैं वह तों जैसे के तैसे रह जाते हैं।

दोस्तों अगर आप सही विधि से यंत्रों को सिद्ध करते हैं तो वह यंत्र आपको सौ प्रतिशत लाभ देगा ही देगा इसमें कोई संदेह नहीं है। 

तों दोस्तों चलीए जानते हैं कि ईन दिव्य यंत्रों को आप सिद्ध किस प्रकार करें। सबसे पहले जानते हैं की यंत्र लीखने वाले व्यक्ति को कौन कौन से नीयमों का पालन करना अनिवार्य है।

यंत्र सिद्ध करते समय इन नियमों का पालन करें:

1) मीत भाषी रहे ( ज्यादा बातें ना करें)।

2) किसीसे झुठ ना बोले, झुठी गवाही ना दें।

3) अपने माता-पिता को शिव पार्वती का रुप समझकर उनकी सेवा करें।

4) अल्पोपहार ले ( भोजन कम करें अथवा एक ही समय भोजन करें) ।

5) शाकाहारी रहें ( मांसाहार,प्याज, लहसुन,मसुरी,मीर्च का सेवन ना करें)।

6) प्रतीदिन पवित्र होकर हनुमान जी के दर्शन करें और उनसे कार्य सिद्धि के लिए प्रार्थना करें क्यों की माता सीता ने हनुमानजी को आठों प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होने का आशीर्वाद दिया है।

7) यंत्र सिद्ध होने तक पुर्ण ब्रम्हचर्य का पालन करें। 

यंत्र सिद्ध करने के लिए स्याही और कलम:

( आप जिस यंत्र को सिद्ध कर रहे हैं उसकी बतायी विधी अनुसार ही कवम और स्याही का उपयोग करें)

दोस्तों यंत्र लीखने के लिए स्याही और कलम का भी अत्यंत महत्व है।ज्यादातर यंत्र अनार, चमेली, सोना, पुन्नाग, करविर के कलम से लिखे जाते हैं । उच्चाटन और मारण प्रयोग में लोहे की कलम का उपयोग भी कीया जाता है।

कलम की लंबाई एक अंगुल से लेकर बारा अंगुल तक लें, एक बात का ध्यान रखें कि कलम ग्यारह अंगुल से कम नहीं होनी चाहिए। और एक बार उपयोग की गई कलम दुबारा उपयोग ना करें।

यंत्रों को लीखने के लिए स्याही की बात करें तो ईसके लिए पंचगंध, अष्टगंध( अष्टगंध में दो- तीन प्रकार होते हैं आगे हम बतायेंगे) ,और यक्ष कर्दम का उपयोग बहुतायत से कीया जाता हैं।

पंचगंध - कपुर, केशर, कस्तुरी, चंदन, गोरोचन 

अष्टगंध-1: अगर,तगर,गोरोचन, कस्तुरी, चंदन,लाल चंदन,सिंदुर, कपुर।

अष्टगंध-2: कपुर, कस्तुरी,केशर,गोरोचन,सिंगरफ, चंदन, लाल चंदन,गेव्हुला।

अष्टगंध-3: केशर,कपुर, कस्तुरी, हिंगुला, चंदन, लाल चंदन, अगर,तगर।

यक्ष कर्दम : चंदन, केशर,कपुर, अगर,तगर,गोरोचन,कस्तुरी, हिंगुला,रसांजन,अंबर, सोने का वर्ख,मीरच,कोकमु।

कयी प्रकार के यंत्र पेन की स्याही और विशिष्ट वृक्षों के, पौधे के पत्तों की स्याही से भी लिखने का विधान मीलता है।

यंत्र लिखने के लिए क्या उपयोग करें:

दोस्तों देखा जाए तो बहुत सारे यंत्र भोजपत्र पर लिखे जाते हैं। लेकिन ग्रंथों में कयी बार कुछ यंत्रों को लीखने के लिए कागज और विशिष्ट वृक्षों और पौधों के पत्तों पर भी लिखने का विधान मीलता है। जैसे कुछ वशीकरण यंत्र कमल के पत्ते पर,विद्वेशन और मारन यंत्र धत्तुरे के पत्ते पर और लोहे के पत्र पर भी लिखने का विधान मीलता है। इसीलिए आपको जीस तरह का विधान बताया गया है उसीके अनुसार आप प्रयोग करें।

कुछ महत्वपूर्ण नियम:

1) यंत्र जमीन पर रख कर कदापी ना लीखें कीसी पाट का उपयोग करें।अपने घुटने या जंघा पर यंत्र को कभी भी ना बनाएं।

2) एक बार उपयोग की गई कलम दोबारा उपयोग ना करें।

3) यंत्र लिखते समय यदि कोई अंक लिखने मे भुल हों गई या फिर आपने जरूरी अंक के जगह गलत अंक लिखा है तो उसे मीटाकर पुनः लिखने का प्रयास ना करें। इससे वह यंत्र कभी भी सिद्ध नहीं होगा।

4) ऐसी स्थिति में आप नया भोजपत्र लेकर फिर से यंत्र को लिखना आरंभ करें।

5) यंत्र जीतना बडा लिखना है उससे एक अंगुल बडा भोजपत्र अथवा कागज़ लें ( जो विधान हैं उसके अनुसार कागज या भोजपत्र लें)

6) आप जब यंत्र लिखने के लिए बैठे हैं तों साधना पुर्ण होने तक ना उठें अन्यथा पिछली साधना बेकार होगी और आपको एक बार फिर से साधना शुरू करनी पड सकती हैं।

7) यंत्र सिद्ध करते समय आप धुप और दिप जरूर लगाएं।

8) यंत्र में जो अंक सबसे छोटा है उसे को सबसे पहले यंत्र में लिखें ईसके बाद चढ़ते क्रम से सभी अंक लिखें। 

9) यंत्र लिखने के बाद उसे एक बार गुगल की धुनी अवश्य दें इससे यंत्र की शक्ति में वृद्धि होगी।

10) यंत्रों को सिद्ध करने के बाद ईस सिद्ध यंत्र को आगे उपयोग करने के लिए शुद्ध और पवित्र स्थान पर रख दें।ईसपर अपवित्र स्त्री की छाया पडने ना दें।

11) अगर आप गले में धारण करने हेतु कीसी बिमारी को ठीक करने हेतु या ऐसे यंत्र का निर्माण कर रहे हैं जीसे शरीर पर धारण करना है तो ईस तरह के यंत्र को बनाने के बाद शिघ्र ही ताबिज में भरकर धारण करें ईस तरह के यंत्र को बनाने के बाद जमीन पर या कही भी ना रखें। इससे ईसकी शक्ति कम हो जाती हैं।

यंत्र बनाने का उचित समय:

यंत्र की शिघ्र सिद्धि प्राप्त करने हेतु ईसे अगर आप शुभ नक्षत्र या शुभ योग या शुभ पर्व पर बनाते है तो आप बहुत ही शिघ्र ईनको सिद्ध कर सकते है। जैसे :

रवि- पुष्ययोग, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी,होली, दिवाली, या फिर चंद्र ग्रहण और सुर्य ग्रहण, शुक्र- रोहिणी योग आदी।

यंत्र लिखने की उचित जगह: 

दोस्तों यंत्र सिद्धि के लिए उचित जगह भी बडा महत्व रखती हैं। जैसी जगह हो उसी के अनुसार आपको शिघ्र सिद्धि प्राप्त होगी जैसे: 

अगर आप यंत्रों को अगर आप अपने घर में पवित्र स्थान पर बनाते हैं तो सिद्धी मीलने में थोड़ा विलंब होगा, अगर आप ईसे किसी मंदिर में लिखते हैं तो सिद्धी इससे शिघ्र मिलेगी,अगर आप यंत्रों को नदि के तट पर लिखते हैं तो मंदिर से शिघ्र सिद्धि मीलेगी, और यदि आप ईसे किसी सिद्ध पिठ में बैठकर लिखते हैं तो सिद्धी अती शिघ्र मीलेगी।

यंत्र सिद्ध करते समय किस दिशा की ओर मुख करके बैठे?

दोस्तों यंत्रों को सिद्ध करने के लिए दिशाओं का भी काफी महत्व बताया गया है। आपको आप बताएं गयें विधाननुसार दिशा का चयन करें अगर वहां पर दिशाओं का उल्लेख नहीं किया गया है तो आप ईस प्रकार दिशा चयन करें।

सुख, शांती, लक्ष्मी प्राप्ती हेतु यंत्रों को सिद्ध करने के लिए आप पुर्व की ओर मुख करके बैठे।

वशीकरण,मोहन,आकर्षण हेतु यंत्रों को सिद्ध करने के लिए आप ईशान दिशा की ओर मुख करके बैठे।

संकट और कष्ट निवारण हेतु उत्तर की ओर मुख करके बैठे।

विद्वेशन, उच्चाटन और मारन हेतु दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठे।

यंत्रों को सिद्ध करने के लिए उचित समय:

दोस्तों अलग-अलग यंत्रों को सिद्ध करने के लिए अलग-अलग समय का भी अत्यंत महत्व है। जैसे:

सुख, शांती, लक्ष्मी प्राप्ती के लिए यंत्रों को सिद्ध करने के लिए सुबह सुर्योदय से लेकर सुबह 9 बजे तक।

वशीकरण मोहन आकर्षण हेतु यंत्रों को सिद्ध करने के लिए दोपहर में।

तथा विद्वेशन और मारन हेतु आप आधी रात के बाद यंत्रों को सिद्ध करें। 

तों दोस्तों ये हैं कुछ महत्वपूर्ण बातें अगर आप ईन सभी बातों का नियमपूर्वक पालन करते हैं और पुर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ साधना करते हैं तो आप हर प्रकार के यंत्र को शिघ्र ही सिद्ध करके उनका पुर्ण लाभ लें सकते हैं इसमें कोई संदेह नहीं है।