घृत कुमारी (Aloe vera) के 10 जबरदस्त फायदें और नुकसान

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नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है।

दोस्तों आज हम बात करेंगे घृतकुमारी के औषधि उपयोगों के बारे में।

 दोस्तों घृतकुमारी हमारे आयुर्वेद की बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि में से एक है। ईसका पौधा एक से ढाई फीट तक उंचा एवं बहुवर्षायु होता हैं। ईसकी पत्तीयां गुद्देदार,कीनारों पर कांटो से युक्त होती हैं। पत्तीया ईसके कांड से ही निकलती हैं।यह एक से दो फीट तक लंबी तथा ढाई से चार इंच तक चौडी होती हैं। जब पौधा पुराना हो जाता हैं तो बिच से एक डंडी सी निकल आती हैं। और ईस पर पिले तथा लाल रंग के पुष्प आते हैं। ईसके पत्तों को काटने पर एक पारदर्शक रस निकलता है और यही रस औषधि उपयोग के लिए उपयुक्त हैं।

विभिन्न नाम:-

 संस्कृत :- घृत कुमारी,

हिंदी :- ग्वारपाठा, घीकुंआर, 

मराठी:- कोरफड

 बोटेनिकल :- Aloe barbadensis, Aloe vera.

अंग्रेजी:- Aloe

गुणधर्म :- 

घृत कुमारी गुरु, स्निग्ध , तिक्त,कटु, किंचित दिपक, पाचक, बडी मात्रा में लेने से विरेचक, लिवर को मजबूत करने वाली, कृमीनाशक, रक्तशोधक, तथा शोथनाशक हैं। यह शक्तीवर्धक,तथा गर्भावस्था में हानीकारक हैं।

प्रचलित योग:- 

कुमारी आसव, रजप्रवर्तीनी बटी, एलो कंपाउंड, आदि।

औषधीय उपयोग:-

 हड्डी बुखार-( Bone fever or intermittent fever):-

जीन लोगों को हमेशा अंदरुनी बुखार रहता हैं । शरीर हमेशा गर्म महसूस होता हैं। हाथ पांव में सदा थकावट महसूस होती हैं तों यह लक्षण हड्डी बुखार के हो सकते हैं ऐसी स्थिति में घृतकुमारी का रस लगभग 10 मीली लेकर उसमें थोडी सी छोटी पिपल का चूर्ण और शहद मिलाकर दिन में दो बार पिएं तो इससे कीतना भी पुराना हड्डी बुखार हो तो भी ठीक होता हैं।

 प्लीहा वृद्धि-( Spleen inflammation):-

 जीन लोगों के प्लीहा में सुजन आयी हो तों ईसका रस लगभग 10 मीली लेकर उसमें गुंजा के बराबर नमक मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से प्लीहा की सुजन ठीक होती हैं।

 वायु गोला-( Regurgitation):-

घृतकुमारी का गुदा पांच ग्राम, हरड का चूर्ण एक ग्राम, सेंधा नमक एक ग्राम आपस में अच्छी तरह मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पेट का वायु गोला ठीक होता हैं।

 मुत्रकृच्छ-( pain in urination):-

घृतकुमारी का गुदा पांच ग्राम लेकर ईसमे मीश्री मीलाकर खाने से मुत्रकृच्छ दुर होता हैं।

 मधुमेह- ( Diabetes):-

घृतकुमारी का गुदा पांच ग्राम और गीलोय का चूर्ण पांच ग्राम दिन में दो बार लगातार सेवन करने से कुछ ही दिनों में रक्त में स्थीत शर्करा की मात्रा कम होती हैं।

 कामला रोग-(Jaundice):-

घृतकुमारी का ताजा रस 10-20 मीली सुबह शाम कुछ दिन तक लगातार लेने से कामला रोग जड से चला जाता हैं।

 गठीया रोग-( Gout):-

घृतकुमारी का गुदा पांच ग्राम थोडी सी सौठ के चुर्ण के साथ सुबह शाम लेते रहे ईससे गठीया निश्चित ही दुर होगा।

 चेहरे की सुंदरता -( fairness of face):-

घृतकुमारी का रस नित्य प्रति चेहरे पर लगानेसे चेहरे की झुरीयां,दाग,धब्बे दूर होकर चेहरे की सुंदरता बढ़ती है।

आपके प्रश्न हमारे उत्तर

एलोवेरा खाने से क्या होता है?

एलोवेरा खाने से लिवर रोग, पंडु रोग, एसीडिटी, बवासीर,पेट की गैस, आदि ठीक होती हैं।

एलोवेरा चेहरे पर लगाने से क्या होता हैं?

उत्तर- एलोवेरा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाएं जाते हैं।इसको चेहरे पर लगाने से चेहरे की झाइयां, मुंहासे और चेहरे के दाग-धब्बे दूर होकर चेहरे की सुंदरता बढ़ती है।

एलोवेरा का प्रयोग केसे करें?

चेहरे पर लगाने के लिए इसके ताजे ज्युस का उपयोग करें। और भीतरी सेवन करने के लिए भी ताजे ज्युस का ही उपयोग करें। एलोवेरा का भीतरी सेवन लगातार लंबे समय तक कदापि ना करें इससे लाभ की अपेक्षा अधिक हानी भी हो सकती हैं। एलोवेरा में एलोईन, बार्बेलोईन,तथा आयसोबार्बेलोईन जैसे क्रीयाशील तत्व पाएं जाते हैं जो लगातार लंबे समय तक सेवन करने से हानीकारक भी हो सकते हैं। इसीलिए जब भी आप एलोवेरा का भीतरी सेवन करते हैं तो एक सप्ताह तक सेवन करने के बाद बिच बिच में चार पांच दिन तक इसका सेवन बंद करते रहें तो ज्यादा लाभ मिलेगा। साथ ही जीन लोगों को आंवयुक्त बार बार शौच आते हों उनको भी इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए।

गर्मी में एलोवेरा के फायदे?

उत्तर- कयी लोगों की यह धारणा है कि एलोवेरा ठंड प्रकृति का होता हैं और गर्मीयों में यह ठंडक पहुंचाता है। लेकिन यह धारणा बिल्कुल ग़लत है। आयुर्वेदानुसार एलोवेरा गर्म प्रकृति का होता हैं। गर्मीयों में इसका सेवन करने से कयी बार पेट खराब हो जाता हैं और आंवयुक्त दस्त आने लगते हैं। गर्मीयों में जब कीसी व्यक्ती के पेशाब में खून आता हैं तो कयी लोग उनको एलोवेरा का जूस पीने की सलाह देते हैं लेकिन इससे रोग ठीक होने की अपेक्षा बढ जाता हैं। इसीलिए हमारी सलाह यही है की गर्मी के मौसम में एलोवेरा का उपयोग कम ही करें तो बेहतर होगा। 

एलोवेरा का जूस बनाने की विधि?

एलोवेरा का जूस बनाने का सबसे आसान तरीका यह है, एलोवेरा का ताजा पुष्ट पत्ता लेकर उसको बिच से दो टुकड़ों में काट लें फिर इन दोनों टुकड़ों पर शक्कर का बूरा डालकर आपस में पट्टी से बांधकर कीसी बड़े बर्तन में सीधा खड़ा रख दें। इससे कुछ ही समय में पत्तों में सारा जुस निकलकर बर्तन में जमा होगा। फीर इस जुस को छानकर बोतल में भरकर कार्क लगाकर सुरक्षित रखें। और इसीका उपयोग औषधि रूप में करें। इस जुस  में प्रिजरवेटीव ना होने के कारण ज्यादा दिनों तक रखने से यह  खराब हो जाता हैं । इसीलिए प्रतीदिन इसी प्रकार ताजा जुस निकलकर उपयोग करें।

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