महा शिवरात्रि 2024 व्रत विस्तृत जानकारी (Maha shivratri 2024 vistrat jaaankari
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Maha Shivratri 2024 Date: इस साल कब है महाशिवरात्रि, शिव पूजा से पहले नोट करें तिथि और शुभ मुहूर्त In post ads
Maha Shivratri 2024: महाशिवरात्रि को शिव पूजा के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। इस साल 8 मार्च को महा शिवरात्रि मनाई जाएगी।
By astrologer Guru
Maha Shivratri 2024 Date: इस साल कब है महाशिवरात्रि, शिव पूजा से पहले नोट करें तिथि और शुभ मुहूर्त
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Maha Shivratri 2024 Date: नया साल शुरू हो गया है। पूजा-पाठ और त्योहार जल्द ही शुरू होने वाला है। अभी खरमास चल रहा है। 15 जनवरी के बाद खरमास समाप्त होते ही पूजन और शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। जिनमें से एक महाशिवरात्रि है। हिंदू धर्म में इस दिन का महत्व है। महादेव के भक्त व्रत रखते हैं। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महा शिवरात्रि मनाई जाती है। इस साल भी भोलेनाथ के भक्त महाशिवरात्रि का इंतजार कर रहे हैं। In post ads
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महाशिवरात्रि 2024 कब है?(Maha shivratri 2024 kab hai)
महाशिवरात्रि को शिव पूजा के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। इस साल 8 मार्च को महा शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिवजी पूजा का विधान है।
महाशिवरात्रि के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त( Maha shivratri vrat 2024 Pooja muhurt kab hai)
निशीथ काल पूजा मुहूर्त- 24.07.06 से 24.55.52 तक
अवधि- 48 मिनट
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त- 06.38.20 से 15.30.10 तक
महाशिवरात्रि व्रत का नियम (Maha shivratri vrat katha 2024) In post ads
चतुर्धशी पहले दिन निशीथव्यापिनी हो उस दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है। रात का 8वां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है। चतुर्दशी तिथि तब शुरू हो और रात्रि का 8वां मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में पड़ रहा हो तो उस दिन शिवरात्रि मनानी चाहिए।
महाशिवरात्रि का महत्व( Maha shivratri vrat 2024 )
मान्यता है कि इस तिथि को भगवान शिव ने वैराग्य का जीवन छोड़ दिया था। संसार के जीवन में प्रवेश किया। इस रात महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। गरुड़ पुराण के अनुसार, इस दिन निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार पर गए, लेकिन उसे कोई शिकार नहीं मिला। वह परेशान होकर एक तालाब के किनारे पहुंचा। In post ads जहां बिल्व पेड़ के नीचे शिवलिंग था। अपने शरीर को देने के लिए निषादराज ने बिल्व पत्र तोड़े जो शिवलिंग पर गिर पड़े। अपने पैरों को साफ करने के लिए तालाब का पानी छिड़का। जिसकी बूंदे शिवलिंग पर जा गिरी। ऐसा करते वक्त उसका तीर नीचे गिर गया। जिसे उठाने के लिए शिविंग के सामने झुका। इस तरह अनजाने में शिव पूजा कर ली।
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