पुरानी से पुरानी बवासीर को एक दिन में खत्म कर देगी ये सब्जी, सीख लीजिए खाने का सही तरीका

Torai-fayde-aur-nuksaan


तोरई एक प्रकार की बेल वाली सब्जी होती है और इसकी खेती भारत में कई जगहोंपर की जाती है। इसकी प्रकृति ठंडी और तर होती है। इसमें विटामिन सी, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर ये उच्च घटक होते है । तोरई में पोटेशियम, फोलेट और विटामिन ए की जरुरी मात्रा होती है, जो सामान्य स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

Kadvi torai urticaria, bavasir, aur Cystitis me upyogi hai:-

तोरई की बेल गाय के दूध या ठंडे पानी में घिसकर रोज सुबह 3 दिन तक पीने से पथरी गलकर खत्म होने लगती है। आंखों में रोहे (पोथकी) हो जाने पर तोरई के ताजे पत्तों का रस निकालकर रोजाना २ से ३ बूंद दिन में ३ से ४ बार आंखों में डालने से लाभ मिलता है। तोरई की बेल गाय के मक्खन में घिसकर २ से ३ बार चकत्ते पर लगाने से चकत्ते ठीक होने लगते हैं। सुबह खाली पेट तोरई की सब्जी खाने से बवासीर ठीक होने लगती है। अगर हर दो घंटे बाद इस सब्जी को खाएं तो 18 घंटे के बाद बवासीर बिल्कुल ठीक हो जाएगी। तोरई पेशाब की जलन और पेशाब की बीमारी को दूर करने में मदद करती है ।

Kadvi torai see gaath ko dur kare:-

तोरई की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर फोड़ें की गांठ पर लगाने से 1 दिन में फोड़ें की गांठ जाने लगती है। तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाने के बाद कूटकर नारियल के तेल में मिलाएं, 4 दिन तक रखे और फिर इसे उबालें और छानकर बोतल में भर लें। इस तेल को बालों पर लगाने और इससे सिर की मालिश करने से बाल काले होने लगते है ।

Kadvi torai see piliya rog ke upaay:-

कड़वी तोरई (kadvi torai ke fayde aur nuksaan in hindi) को उबाल कर उसके पानी में बैंगन को पका लें और बैंगन को घी में भूनकर गुड़ के साथ भर पेट खाने से दर्द तथा पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं। कड़वी तोरई के रस में दही का खट्टा पानी मिलाकर पीने से योनिकंद के रोग में लाभ मिलता हैं। कड़वी तोरई का रस दो-तीन बूंद नाक में डालने से नाक द्वारा पीले रंग का पानी झड़ने लगेगा और पीलिया नष्ट होने लगता है ।

तोरई के पत्तों को पीसकर लेप बना लें और इस लेप को कुष्ठ पर लगाने से लाभ मिलने लगता है। तोरई के बीजों को पीसकर कुष्ठ पर लगाया जाता है । पालक, मेथी, तोरई, टिण्डा, परवल आदि सब्जियों का सेवन करने से घुटने का दर्द दूर होता है। कड़वी तोरई को चिल्म में भरकर उसका धुंआ गले में लेने से गले की सूजन दूर होती है। अगर रोगी को उलटी करवानी है तो तोरई के बीजों को पीसकर खिलाते है ।