देवदाली ( बंदाल) के फायदे और नुकसान

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  दोस्तों, देवदाली या बंदाल की लताएं हमारे देश के लगभग सभी प्रांतों में बिल्कुल आसानी से पाईं जाती हैं। कयी लोग इसके फलों की सब्जी बनाने के लिए अपने घरों में तथा बाग-बगीचों में भी लगातें हैं। अब तो कयी  कीसान  भाई इसकी खेती भी कर रहें हैं इसके फलों को बाजारों में भी काफी मांग है। इसके कारण कयी किसान भाई इसकी खेती करके काफी लाभ उठा रहे हैं।इसकी कंदाकार जड़ें जमीन के नीचे होते हैं।जब वर्षा ऋतु आरंभ होता हैं तब इसकी जड़ों से लता निकलती हैं। इसकी लताएं लगभग दस से बिस फीट तक लंबी होती हैं। और बड़े बड़े वृक्षों पर चढ़ी नजर आती हैं। वृक्षों का आधार ना मीलने पर यह जमीन पर फैलने लगती हैं। इसके पत्ते पंचकोणीय तथा दिखने में तोरई के पत्तों के समान होते हैं। इसके फुल पिले रंग के पत्रकोण के पास से निकलते हैं। इसके बाद इसपर फल आने प्रारंभ होते हैं। इसके फल एक से तीन इंच तक लंबे कुछ अंडाकार आकृति के होते हैं। फलों पर नर्म मुलायम कांटे होते हैं। इसमें और एक प्रजाति होती हैं जीसे बांझ ककोडा के नाम से जाना जाता हैं। इसपर फुल तो आते हैं लेकिन फल कभी नहीं आते हैं।

विभिन्न नाम - बोटेनिकल नाम - Luffa echinata. संस्कृत नाम - देवदाली, कण्ठपुष्पा, हिंदी नाम - देवलाली, बंदाल,ककोडा, बंगाली - पितघोषा, 

मात्रा - फल का गूदा एक से दो रत्ती पानी के साथ। पत्तों का रस पांच मासे तक।

गुणधर्म - आयुर्वेदानुसार देवदाली तिक्त, उष्णविर्य, तथा विपाक में चरपरी होती हैं। यह वात, पित्त, तथा कफ का शमन करने वाली,ज्वर, श्वास, हीक्का, पेट के रोग, कामला,कृमी,शुल, बवासीर में लाभकारी होती हैं। साथ ही इसमें दीपन, विरेचन, शीरोविरेचन, व्रण शोधक गुण भी पाए जाते हैं। इसको बड़ी मात्रा में सेवन करने से यह वमन तथा तिव्र विरेचन करती हैं।

देवदाली हिम - देवदाली के दो सुखें फलों को कुटकर आधा गिलास पानी में रात को भीगोकर रखें सुबह ईसको छानकर रखें। मात्रा एक से दो औंस दिन में दो बार।

देवदाली का काढ़ा - देवदाली का पंचांग लगभग दस ग्राम लेकर उसे एक सेर पानी में उबालें। जब आधा सेर पानी शेष रहें तब उतारकर छान कर रखें। इसमें से एक या दो औंस काढ़ा दिन में दो बार सेवन करें। यह काढा आमाशय के लिए बहुत ही पौष्टिक होता हैं। इससे आमाशय को बल मिलता हैं। साथ ही इससे पेशाब भी खुलकर आने लगती हैं। साथ ही इससे भोजन सही रूप से पाचन होता हैं और शौच साफ आने लगता हैं।

बंदाल बटी - बंदाल के तीन सुखें हुएं पुष्ट फल लेकर उसमें से गुदा और बिज निकाल कर साफ करें फिर इसका महीन चूर्ण बनाकर रखें। अब मनुक्का लेकर उसमें से भी बिज निकालकर फेंक दें और इसको अच्छी तरह से कुटकर इसकी चटनी बनाएं । अब इस चटनी को और बंदाल के फलों के चूर्ण को आपस में अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट बनाएं। और इस पेस्ट की चार चार रत्ती की गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर ढक्कनदार डिब्बे में सुरक्षित रखें। इसमें से एक एक गोली सुबह और रात को गर्म करके ठंडा कीजिए वालें दुध के साथ। विरेचन के लिए पानी के साथ।

यह गोलियां सभी प्रकार के ज्वर, हड्डी बुखार, सीरदर्द, कामला रोग में बहुत ही जबरदस्त लाभ करती हैं। साथ ही यह आमाशय को बल देती हैं। और आंतों में संचित मल को साफ करती हैं।

औषधीय उपयोग - 

कामला ( Jaundice )  - कामला रोग को ठीक करने के लिए यह औषधि बहुत ही फायदेमंद होती हैं। इसके फल का गूदा एक से दो रत्ती मठ्ठे के साथ लेने से कुछ ही दिनों में कामवासना रोग ठीक होता हैं। कई ग्रामीण वैद्य इसके फल के एक रत्ती भर गुदे को कामला के रोगियों को सुंघाते हैं। इससे नाक से बहुत सारा स्त्राव निकल जाता हैं और कामला रोग ठीक होता हैं।

कामला रोग के लिए दुसरा प्रयोग  - देवदाली के पंचांग को रात को पानी में भिगो कर रखें। सुबह इसको छानकर एक से दो औंस तक दिन में दो बार सेवन करने से भी कामवासना ठीक होता हैं।

बवासीर के मस्से - बवासीर के मस्सों की पिडा और सुजन ठीक करने के लिए बंदाल का पंचांग बहुत ही लाभदायक है। इसके पंचांग का काढ़ा बनाकर इससे बवासीर के मस्सों को धोने से कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्से सूख जाते हैं और पिडा भी ठीक होती हैं।

पित्तज बुखार - पित्तज बुखार को ठीक करने के लिए देवदाली का काढ़ा या हिम का सेवन करें। इससे पित्तज बुखार ठीक होता हैं और साथ ही यह बढे हुए वात और कफ दोषों को भी दुर करता है।

जलोदर - इस रोग में देवदाली का विरेचन देने से जुलाब होकर  रोग ठीक होता हैं। साथ ही यह यकृत को भी उत्तेजित करता है इससे रोग जल्दी ही ठीक होने में मदद मिलती हैं।

लिवर तथा प्लीहा की सुजन - देवदाली का अर्क सेवन करने से कुछ ही दिनों में लिवर और प्लीहा की सुजन ठीक होती हैं।

सर्वांगशोथ - सारे शरीर पर अगर सुजन आ गई है तो इसे ठीक करने के लिए देवदाली का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता हैं। इसके अर्क का सेवन दिन में दो बार करने से शौच साफ होता हैं और पेशाब भी खुलकर आने लगता हैं और शरीर की सुजन उतर जाती हैं।

आपके प्रश्न हमारे उत्तर

देवदाली के अन्य नाम क्या हैं?

उत्तर - देवदाली के बहुत सारे नाम है, जैसे, बंदाल, बंदाली, ककोडा, कांटाफल, घोगर आदि। 

देवदाली विषैली औषधि हैं क्या?

उत्तर - नहीं, यह बिल्कुल निरापद है, इसकी बड़ी मात्रा देने से वमन और वीरेचन होते हैं। ऐसी परिस्थिति में इसका सेवन बंद कर दें। और घी के साथ भात खाएं । इससे इसके सभी बुरे प्रभाव दुर होते हैं।

देवदाली के जड के फायदे क्या हैं ?

उत्तर - कई ग्रामीण वैद्य इसके जड़ के चूर्ण की थोडी मात्रा पंडुरोग दुर करने के लिए देते हैं।

देवदाली के फलों की सब्जी खाने से क्या फायदा होता हैं ?

उत्तर - देवदाली के फलों की सब्जी खाने से लिवर सर्वसमर्थ होकर भुख बढ़ती है और भोजन ठीक से पाचन होता हैं। साथ ही इससे पेट साफ होता हैं।

किडनी की सुजन में देवदाली उपयोगी है ?

उत्तर - नहीं, जीन लोगों की कीडनी पर सुजन आ गई है अथवा कीडनी रोग के कारण सारे शरीर पर सुजन आ गई हैं तों ऐसी परिस्थिति में देवदाली का सेवन भुलकर भी ना करें इससे हानी भी हो सकती हैं।