गीलोय के 11 फायदें

Giloy-ke-11-fayde


नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है,

दोस्तों हमारे आयुर्वेद और घरेलू उपाय के तौर पर गीलोय को को अनन्य महत्त्व रहा हैं।बारह महीने हरी-भरी रहने वाली ईसकी लताएं प्राय: अलग-अलग पेड़ों पर चढती हुई दिखाई देती हैं।ईसकी लता का कांड अंगुठे या इससे भी बड़ा हो सकता हैं। पुराने लताओं के कांड कभी कभी कलाई ईतने मोटे भी देखे गए हैं ऐसे बड़े कांड प्राय: जंगलों में पाएं जाते हैं।जब ईसकी लताएं जमीन पर फैलती हैं तो कांड मे से सुतली जैसी जड़ें जमीन में चली जाती हैं।अगर ईसकी लताएं कीसी पेड पर चढी हुई है तो यह रेशम जैसी जड़ें निचे की तरफ लटकती हैं। यह आसानी से हर जगह उपलब्ध होने वाली औषधीय लता हैं।

इसके तने पर दुसरे रंग की पतली सी छाल होती हैं जीसको हल्के से खिंचाव से भी निकल जाती हैं। उपर की छाल निकलने पर तना हरे रंग का दिखाई देता हैं।गीलोय का तना  स्वाद में तिक्त होता हैं। और ईसीका उपयोग औषधि के रूप में कीया जाता हैं। ईसके तने को मसलने से इसमें से लोआब जैसा  रस निकलता है।ईसके पत्ते पान के पत्तों की तरह होते हैं।यह तने में एकांतर रूप से निकलते हैं। इसमें 7-8 नाडीयां होती हैं।पत्ते 3-4 इंच तक चौड़े और 1-3 इंच तक लंबे होते हैं।

इसके फुल ग्रीष्म ऋतु में छोटे छोटे गुच्छों में पत्तों के पास से निकलते हैं। इनका रंग पीला होता हैं। गीलोय के फल भी गुच्छों में ही लगते हैं जो छोटे छोटे मटर के समान होते हैं। इसके फल जब कच्चे होते हैं तब इनका रंग हरा होता हैं और पकने के बाद यह लाल रंग के हो जाते हैं।

विभिन्न नाम:- संस्कृत में अमृता,गुडुची,अधुपर्णी, हिंदी में गीलोय,गुरूची,गुडुची आदी।

गुणधर्म:- आयुर्वेदानुसार गीलोय गुरु स्निग्ध तिक्त कषाय उष्णविर्य,विपाक में मधुर, और वात पित्त तथा कफ का नाश करने वाली मानी जाती हैं।यह दिपक पाचक मुत्रल नंपुसकता नाशक, रक्तशोधक,रक्तवर्धक एवं रसायन मानी जाती हैं।

प्रचलित योग:- अमृतारीष्ट,गीलोय सत्व,संशमनी बटी,गुडुच्यादि घन वटी, गुडुच्यादि क्वाथ आदी।

रोगानुसार उपयोग

पुराना हड्डी बुखार (Bone fever) - अगर किसी व्यक्ति को कयी दिनों से हल्का हल्का बुखार रहता हैं, शरीर में सदा आलस्य महसूस होता हैं, भुख कम लगती हैं, तथा शरीर में हरवक्त कमजोरी महसूस होती हैं तो यह लक्षण हड्डी बुखार हो सकते हैं इसके लिए गीलोय रामबाण औषधि है। गीलोय का ताजा तना लेकर उसे हल्का हल्का कुट ले फिर इसमें पांच गुना पानी डालकर इसका काढा बनाएं जब केवल एक गुना पानी शेष रहें तब ईसको उतारकर छान कर सुबह शाम पी लें इससे कीतना भी पुराना हड्डी बुखार हो तो भी कुछ ही दिनों में ठीक होता हैं और शरीर में नयी ताकत बढ़ती है।

पित्त ज्वर ( Billious fever) - अगर किसी व्यक्ति के शरीर में पित्त बढ़ने की वजह से पित्त ज्वर चढ गया है तो गीलोय और निम की अंतरछाल समान मात्रा में लेकर थोडा सा कुटकर काढा बनाकर सुबह-शाम सेवन करें तो इससे पित्त ज्वर शांत होता हैं।

बदन दर्द, शरीर का फुटना (Bodyache) - कभी कभी सारे शरीर में दर्द होता हैं तथा शरीर फटने जैसा प्रतीत होता हैं। तों ऐसी स्थिति में गीलोय और सोंठ का काढ़ा बनाकर पीने से बदन दर्द और शरीर का फुटना केवल आधे घंटे में ही ठीक होता हैं।

मधुमेह (Diabetes) - आधुनिक हुई रिसर्च अनुसार गीलोय मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत ही लाभदायक औषधि मानी जाती है। सुबह खाली पेट इसके ताज़े तने का रस लगभग 30 मीली की मात्रा में कुछ सप्ताह तक नियमित रूप से लेने से मुत्र में आने वाली शर्करा पुर्ण रूप से ठीक होती हैं। और साथ ही रक्त में स्थीत शर्करा की मात्रा भी कम होने में मदद होती हैं।

विर्य का पतलापन (Semen thinness) - अगर किसी कारण विर्य अधिक पतला हो गया है तो गीलोय का ताजा रस मीश्री मीलाकर सुबह शाम पीने से विर्य का पतलापन दुर होकर विर्य गाढ़ा बनता हैं।

शरीर की अतिरिक्त गर्मी ( Excess heat of body) - शरीर में बढ़ी अतिरिक्त गर्मी को ठिक करने के लिए भी गीलोय बहुत ही गुणकारी है इसके लिए गीलोय का ताजा रस में थोड़ा सा जिरे का चूर्ण और मिश्री मिलाकर पीने से शरीर की अतिरिक्त गर्मी दूर होती हैं।

ईम्युनीटी बढ़ाने के लिए ( To increase immunity) ईम्युनीटी बढ़ाने के लिए तो गीलोय बिल्कुल रामबाण औषधि है। आधुनिक हुई रिसर्च अनुसार इसमें पाया जाने वाला गीलोईन नामक तत्व शरीर में रोग-प्रतिरोधक पेशीयों की संख्या बढ़ाने में काफी मददगार साबित हुआ है। मार्केट में भी इससे बनीं कयी एलोपैथिक दवाएं मौजूद हैं। गीलोय और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर हर प्रकार की बिमारियों से लडने के लिए संकर्षण होता हैं।

वात का दर्द, गठीया (Arthritis pain, Gout) - अगर कोई व्यक्ति वात रोग से पीड़ित हैं या गठीया के दर्द से परेशान हैं तो गीलोय का ताजा तना,सोंठ एरंडमुल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से सभी प्रकार के वातरोगों रोग और गठीया के दर्द और सुजन से राहत मिलेगी।

लिवर रोग ( Liver disease) - अगर कोई व्यक्ति लिवर रोग से पीड़ित हैं। लिवर की कार्यक्षमता कम हो गई हैं, भुख कम मात्रा में लगती हैं। तो गीलोय, भुमी आंवला, और अजवायन का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से लिवर को ताकत मिलती हैं और लिवर सुचारू रूप से कार्य करने लगता है।

केंसर ( Cancer) - आधुनिक हुई कमी रिसर्च अनुसार गीलोय में एंटीकेंसर गुण प्रचुर मात्रा में पाएं गयें हैं।यह शरीर में गांठों को बनने से रोकता है। टीसी भी रूप में गीलोय का सेवन करते रहने से केंसर जैसे भयानक रोग से बचा जा सकता हैं।

कोलेस्ट्रोल ( Cholesterol) - आधुनिक हुई रिसर्च अनुसार बढ़े हुए घातक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में गीलोय काफी मददगार साबित हुआ है। गीलोय का ताजा रस नियमित रूप से सुबह शाम लेने से कुछ ही सप्ताह में कोलेस्ट्रोल की मात्रा नियंत्रित होती हैं।

आपके प्रश्न हमारे उत्तर

1) गीलोय कीतने दिन तक सेवन करना चाहिए?

उत्तर:- आप गीलोय को कीसी भी रूप में कयी साल तक भी सेवन कर सकते हैं। आधुनिक हुई रिसर्च अनुसार इसमें कीसी भी प्रकार का कोई घातक तत्व नहीं है यह बिल्कुल निरापद है।

2) गीलोय का काम क्या हैं?

उत्तर:- गीलोय आयुर्वेद में रसायन औषधि मानी जाती हैं रसायन का मतलब है जों हमारे शरीर को सदा जवान रखें। साथ ही यह दिपक पाचक भी है इससे भुख खुलकर लगती हैं। यह लिवर रोग, पंडु रोग को दूर करके शरीर में हिमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में मदद करती हैं।

3) क्या गीलोय रोज पीना चाहिए?

उत्तर:- जी हां आप प्रतीदिन गीलोय का रस 30 मीली तक पी सकते हैं इससे शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर स्वस्थ रहता है। साथ ही इसका कोई भी साईड इफेक्ट भी नहीं होता हैं

4) क्या गीलोय गर्मी करती हैं?

उत्तर:- नहीं, ईसका विर्य थोड़ा बहुत उष्ण होता हैं लेकिन यह शरीर में अतिरिक्त गर्मी को नहीं बढ़ाती हैं बल्कि उसे ठीक करने में मदद करती हैं।

5) गीलोय कब खाना चाहिए?

उत्तर:- आप गीलोय का सेवन कभी भी कर सकते हैं लेकिन अगर आप गीलोय का सेवन सुबह खाली पेट करते हैं तो इससे ज्यादा लाभ मिलता हैं।

ईम्युनीटी बढ़ाने के जबरदस्त उपाय