महायोगराज गुग्गुल बनाने की विधि, फायदे और नुकसान 

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दोस्तों सभी प्रकार के वातरोगों को दूर करने के लिए महायोगराज गुग्गुल बहुत ही फायदेमंद होता हैं। हमारे देश में बहुत सारी कंपनीया महायोगराज गुग्गुल का निर्माण करती हैं। तों आज हम आपको महायोगराज गुग्गुल बनाने की विस्तृत जानकारी देंगे और साथ ही इसके फायदों और नूकसान के बारे में बतायेंगे, इसकी सही मात्रा क्या हैं, इसके सेवन से कौन कौन से रोग दूर होते हैं यह सभी बातें हम विस्तृत रूप से आपके साथ शेयर करेंगे।

महायोगराज गुग्गुल बनाने की विधि - सोंठ,चव्य, पीपरामुल, चित्रकमुल, शुद्ध घी में भुनी हुई हींग, अजमोदा,सरसों, जीरा, कलौंजी,रेणुकबिज, ईंद्रजौ, पाठा,बायबिडंग, गजपीपल, अतीस,कुटकी भारंगी वच, मुर्वा, ये बिसों औषधीयां  10-10 ग्राम, त्रीफला 400 ग्राम, शुद्ध गुग्गल 600 ग्राम, बंग, चांदी,लोह,नाग, अभ्रक, मंडुर भस्म 40 -40 ग्राम, तथा रससिंदुर 40 ग्राम लें उपरोक्त औषधीयों को कुट पिसकर महीन चूर्ण बनाकर रखें। अब शुद्ध गुग्गल को लेकर पानी में डालकर उबालें जब यह गाढी चाशनी की तरह बन जाएं तो इसमें उपरोक्त औषधीयों का चूर्ण, और उपर लिखें सभी भस्मों को अच्छी तरह से मीलादें अब ईस मीश्रण को पत्थर के साफ खरल में थोड़ा थोड़ा शुद्ध घी डालकर इस मीश्रण को अच्छी तरह से घोंट लें। जब यह मीश्रण गोलीयां बनाने लायक हो जाए तो इसकी मटर के समान गोलीयां बनाकर छाया में सुखाएं। तो हो गया आपका महायोगराज गुग्गुल तैयार । अच्छी तरह से गोलीयां सुखने के बाद इसे कीसी बंद डिब्बे में सुरक्षित रखें। 

मात्रा - एक से दो गोलियां दिन में दो बार

अनुपान - सभी प्रकार के वातरोगों में रास्नादी क्वाथ के साथ या गुनगुने पानी के साथ। तिव्र वात रोगों में इसको एक से तीन माशा की मात्रा में एरंड तेल में मिलाकर थोडा सा गर्म करके उपयोग करें। या फिर आधासेर गर्म दूध में पचास ग्राम मिश्री मिलाकर इसके साथ प्रयोग करें। ईससे भयंकर से भयंकर वातरोग की पिडा भी ठीक होती हैं।

पित्त विकार में जीवनीय गण के काढे के साथ

जीवनीय गण - काकोली, क्षीरकाकोली, मेदा,महामेदा,जीवक, ऋषभक,मुग्दपर्णी, माषपर्णी,गीलोय,कर्कटश्रृंगी, वंशलोचन,पद्माक, पुण्डरीक्ष,ऋद्धी, वृद्धि,मनुक्का, जीवंती, मुलैठी इन सभी औषधीयों का या फिर जीतनी औषधीयां प्राप्त होती हैं उसीका काढा बनाएं।

कफविकार में  आरग्वधादी  क्वाथ के साथ। प्रमेह में दारूहल्दी के क्वाथ के साथ।एनीमीया ( पंडुरोग) में गोमुत्र के साथ। मोटापा कम करने के लिए शुद्ध शहद के साथ। त्वचा रोगों में तथा कुष्ठरोग में नीम के पंचांग के काढे के साथ या महामंजीष्ठादि क्वाथ के साथ। स्त्रीयों में कष्ट के साथ आने वाले मासीक धर्म में अशोकारिष्ट के साथ। वातरक्त ( गाउट) में गीलोय के काढ़े के साथ। शुल्क और सुजन में पीपल के काढ़े के साथ। आंखों के रोग ठीक करने के लिए त्रीफला के काढ़े के साथ। सभी प्रकार के उद्योगों को दूर करने के लिए पुनर्नवादी काढे के साथ इसका उपयोग करें।

महायोगराज गुग्गुल के फायदे

उपयोग - यह रसायन सभी प्रकार के वातरोगों, आमवात,वातरक्त, बवासीर, कुष्ठरोग,संग्रहनी, प्रमेह, नाभीशुल, भगंदर,उदावर्त, क्षय, गुल्मरोग,अपस्मार,कास, श्वास,अरूची,उरोग्रह, पुरूषों के धातु विकार और स्त्रीयोंके गर्भाशय के रोगों को दूर करता हैं। इसमें आमनाशक, पाचक, वातनाशक और धातुवर्धक औषधीयां होने के कारण यह योग बहुत सारे रोगों में लाभदायक है। यह योग विशेषतः आमवात, वातरक्त और आमजनुत रोग दूर करने में बहुत ही फायदेमंद है। जीन जीन वात रोगों में आमानुबंध हैं उन सभी वातरोगों में यह औषधि परम लाभकारी मानी जाती हैं। और आम के कारण बढ़े हुए अन्य दोषों को भी यह ठीक करती हैं। आयुर्वेदानुसार आम दो तरह से उत्पन्न हो जाती हैं एक हैं पाचकरस के अबलत्वसे आद्य रस धातु अपक्व रहकर दुषीत हों जाती हैं। दुसरा हैं अत्यंत दुष्ट दोषों के परस्पर मुर्छन होने पर शरीर में जो विष तैयार होता हैं उसे भी आम ही कहा गया है। जीन जीन रोगों के उत्पन्न होने के लिए यह आम कारणभुत हैं उन सभी रोगों को आमजनीत रोग कहा जाता हैं। इन सभी प्रकार के आमजनित रोगों में महायोगराज गुग्गुल बहुत ही फायदेमंद होता हैं। यह शरीर में बढे हुए आम का पाचन करता हैं और शरीर में नया आम उत्पन्न होने से रोकता हैं। इसी कारण यह आमजनित रोग जड से ठीक होते हैं।

महायोगराज गुग्गुल वातरोगों की नयी अवस्था ( Acute rheumatism) की अपेक्षा वातरोगों की पुरानी अवस्था( Chronic rheumatism)  में काफी फायदेमंद होता हैं। वातरोगों की तिव्र अवस्था निकल जाने के बाद जब जोड़ों में बार बार सुजन आती हैं। जोड़ों और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। आम के कारण नाडीयां मोटी और कमजोर हो जाती हैं तों ऐसी परिस्थिति में रोग को जड से ठीक करने का काम यह रसायन करता हैं।

जीर्ण वातव्याधी( Chronic arthritis) जीस में रसादी धातु की विकृती से उत्पन्न हुएं आमसहीत वात विकार हो तों उनमें यह बहुत ही अच्छा लाभ करती हैं। इसका कार्य जहां दोष धांतुओं के भीतर लय भाव को प्राप्त हुआ हों, ऐसे आमवात ( rheumatoid arthritis) , पक्षाघात ( Paralysis) ,आक्षेपक,तथा गृधृसी ( Sciatica) में यह  औषधि जबरदस्त फायदेमंद होती हैं।

वातार्श ( Piles) में सुखें, रूक्ष, मस्सें हों तो इसका सेवन करने से मस्सों की पिडा में राहत मिलती हैं। सभी प्रकार के वातज प्रमेह जीनमे वातकार्यमें अनियमितता कारण हो । और आमज प्रमेह जो अपचन के जीर्ण विकार से आमसंचय होकर होता हैं। इन दोनों पत्रकार के प्रमेह को ठीक करने के लिए यह औषधि बहुत ही फायदेमंद है।

कुष्ठरोग (Leprosy) -  कुष्ठरोगियों में अगर ज्यादा मात्रा में शरीर में आम जमा हो रही हैं आम का पाचन पुर्ण रूप से नहीं हो रहा हैं तो उन रोगीयों के लिए यह औषधि परम लाभकारी होती हैं जीर्ण क्षुद्र कुष्ठ, पामा या कच्छुसदृश्य क्षुद्र कुष्ठ दब जाने के कारण अगर वातविकार उत्पन्न हो रहें हैं तो यह औषधि उनके लिए बहुत ही कारगर साबित होती हैं।

वातरक्त ( Gout) - आम की उत्पत्ति, आम का संचय, और आमजन्य वातप्रकोप होकर रक्त में विकृती होना यह वातरक्त (Gout) की उत्पत्ति का कारण होता है। वातरक्त ( Gout) की उत्पत्ति बिना आमसंचय के हों ही नहीं सकती हैं। वातरक्त ( Gout) की प्रारंभिक अवस्था में, पेट में गैस बनना, अपचन,पेट में दर्द होना, पेट साफ ना होना, या कभी कभी बार बार दस्त आना, पेशाब कम मात्रा में आना, पेशाब के साथ मैले रंग का गाढा स्त्राव आना आदि समस्या उत्पन्न होती जो लंबे समय तक चलती इससे रोगी दिन-ब-दिन कमजोर होता जाता हैं। ऐसी परिस्थिति में यह औषधि बहुत ही फायदेमंद साबित होती हैं।

वातगुल्म - वातगुल्म  में जब आम का संचय होता हैं, गला और मुंह बार बार सुखता हैं , बार बार ठंड लगकर बुखार आता हैं। पेट की गैस बाहर ना निकलती हैं, और पेट साफ नहीं होता हैं,त्वचा का रंग बदलता है। तों ऐसी स्थिति में महायोगराज गुग्गुल को शुद्ध घी के साथ सेवन करने से वातगुल्म ठीक होता हैं।

पक्षाघात (Paralysis) - को ठीक करने के लिए भी यह औषधि बहुत ही लाभदायक है। पक्षाघात ( Paralysis) के जीर्ण अवस्था में इसे महारास्नादि क्वाथ के साथ देने से काफी लाभ मिलता हैं।

 अनार्तव और कष्टार्तव ( Amenorrhea and Dysmenorrhea) -  स्त्रीयों की मासीक धर्म की समस्याओं में भी इसका सेवन लाभकारी होता हैं। स्त्रीयों के अनार्तव ( Amenorrhea) , और कष्टार्तव ( Dysmenorrhea) में जब मासीक धर्म कम मात्रा में और भयंकर पिडा देता हैं, साथ ही शरीर में खून की कमी है, कमर दर्द, पेट में दर्द होता हो तो इसका सेवन अशोकारिष्ट के साथ बहुत ही फायदेमंद होता हैं।

आपके प्रश्न हमारे उत्तर

महायोगराज गुग्गुल के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

उत्तर - महायोगराज गुग्गुल पुर्ण रूप से आयुर्वेदिक दवा है । इससे शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई साईड इफेक्ट नहीं होता हैं। फीर भी आप अपने शरीर की प्रकृती के अनुसार और उपयुक्त मात्रा में इसका सेवन करें इससे लाभ होगा।

महायोगराज गुग्गुल के फायदे क्या हैं?

उत्तर - महायोगराज गुग्गुल सभी प्रकार के वातरोगों में जैसे के, आमवात, वातरक्त, पक्षाघात आदि में बहुत ही फायदेमंद होता हैं। साथ ही यह बवासीर, और पेट के रोग में भी लाभदायक है।

महायोगराज गुग्गुल के ingredients ?

उत्तर - महायोगराज गुग्गुल के ingredients देखने के लिए इस पोस्ट को पढ़ें।

महायोगराज गुग्गुल में कीसी तरह का कोई केमीकल हैं ? उत्तर - महायोगराज गुग्गुल में अनेक प्रकार की धातुओं का भस्म हैं। इसीलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें। अथवा अपने डॉक्टर की सलाह से ही करें।

महायोगराज गुग्गुल की मात्रा क्या हैं? 

उत्तर - एक या दो गोलियां दिन में दो बार महारास्नादि क्वाथ या गुनगुने पानी के साथ लें। या फिर अपने डॉक्टर की सलाह से मात्रा लें।