महाशक्तीशाली महामृत्युंजय कवच
Mahamrutyunjay-kavach



नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत हैi

दोस्तों भगवान शिवजी बड़े दयालु और अपने भक्तों पर शिघ्र ही कृपा करने वाले है। थोड़ीसी आराधना करने पर भी शिवजी अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

भगवान शिवजी ईतने भोले और उदार है की उनकी उदारता का वर्णन वेद करते करते थक गयें हैं। शिवभक्त रावण को शिवजी ने सोने की लंका प्रदान की थी और साथ ही रावण को कयी प्रकार की दिव्य शक्तीयां भी दी थी जीसके बलबुतें पर रावण ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कीया था और सभी देवी-देवताओं को बंदी बना लिया था। और सभी को अपना दास भी बना लिया था।

दोस्तों जो भी व्यक्ति भगवान शिवजी की मन से आराधना करता हैं उसे सभी प्रकार के सुख, स्वास्थ, और दिर्घायु प्राप्त होती हैं।

दोस्तों आज हम आपको भगवान शिवजी के दिव्य कवच के बारे में बतायेंगे ईसका नित्य प्रति पवित्र होकर दिन में तीन बार पाठ करने से, सभी प्रकार के रोग, दुर्घटना,दरीद्रता दुर होकर व्यक्ती को दिर्घायुं की प्राप्ती होती हैं।

ईस दिव्य कवच का नाम है 'महामृत्युंजय कवच' ईसको अगर आप दिन में तीन बार शुद्ध बभुत पर पढ़कर अपने शरीर पर धारण करते हैं तो ईसका लाभ आपको दुगुना मीलेगा। और ईसके सभी प्रकार के दुःख दूर होंगे।

 महामृत्युंजय कवच:-

            श्री गणेशाय नमः श्री देव्युचाच।

भगवन सर्व धर्मज्ञ सृष्टीस्थीतीलयात्मक:।

मृत्युंजयस्य देवस्य , कवचं में प्रकाशय।।

        श्री ईश्वर उवाच

श्रृणुदेवी प्रवक्षामी कवचं सर्व सीद्धीदम।

मार्कंडेयोपियधृत्वा चिरंजीवी व्यजायत।।

तथैव सर्वदिक्पाला अमरत्वमवाप्नयु।

कवचस्य ऋषिर्बम्हा छंदोनुष्टुबुदाह्रतम।।

मृत्युंजय समुद्धीष्टो देवतापार्वतीपती:।

देहारोग्य बलायुष्टवे विनीयोग: प्रकिर्तीत:।।

ॐ त्र्यंबकं में शिर:,पातु ललाटं में यजामहे।

सुगंधी पातु में ह्रदयं, जठरं पुष्टीवर्धनम।।

नाभीर्भुवारूकमीव, पातु मां पार्वतीपती:।

बंधनादुरूयुग्मं में पातु , कामांड्गशासन:।।

मृत्योर्जानुयुगं पातु ,दक्षयज्ञ विनाशन:।

जंड्घायुग्मंच मुक्षीय पातु मां चंद्रशेखर:।।

मामृताच्च पदद्वंदं पातु सर्वेश्वरोहर:।

असौ में श्रीशिव: ,पातु निलकंठश्च पार्श्वया।।

उर्ध्वमेव सदापातु , सोमसु्र्याग्नीलोचन:।

अध:पातु सदाशंभु: ,सर्वापदविनीवारण:।।

वारूण्यामर्धनारिशो वायंव्यां पातु शंकर:।

कपर्दिपातु कौबेर्यामैशान्यां ईश्वरोवतु।।

ईशान: स्लीवलेस पायादघोर: , पातू कांनने।

अंतरीक्षे वामदेव: , पायात्पुरूषोभुवि:।।

श्रीकंठ धरने पातु भोजने निललोहीत:।

आमने त्र्यंबकं पातु सर्वेकार्येषु सुवृत:।।

सर्वत्र सर्वदेहं में सदा मृत्युंजयोवतु।

इती ते कथीतं दिव्यं कवचं सर्वकामदम।।

सर्वरक्षाकरं सर्वेग्रहपिडा निवारण।

दुःख नाशन पुण्यमायुरारोग्यदायकम।।

त्रीसंध्यं य: पठेदेतन्मृयुस्तस्य न विध्यते।

लिखीं भुर्जपत्रे तुंरत ये इंदौर में व्यधारयेत।।

तं दृष्टैव पलायन्ते भुतप्रेतपिशाच्चका:।

डाकीन्यश्चैव योगीन्य: सिद्धगंधर्वराक्षसा:।।

बालग्रहादिदोषादी नश्यंती तस्य दर्शनात।

उपग्रहाश्चैव मारीभयं चौराभीचारीण:।।

इदं कवचमायुष्यं कथितं तव सुंदरी ।

न दातव्यं प्रयत्नेन न प्रकश्यं कदाचन।।

ईती श्री महामृत्युंजय कल्पे श्रीदेविश्वरसंवादे महामृत्युंजय कवचं समाप्तम।

तों दोस्तों यह महामृत्युंजय कवच बहुत ही दिव्य और शक्तिशाली है ईस कवच को आप नित्य प्रति दिन में तीन बार शुद्ध होकर धारण करेंगे तो निश्चित ही आपकी सर्वतोपरी रक्षा होगी, आपके सभी बड़े बड़े रोग इससे दूर होंगे, अगर आप किसी ग्रह की पिडा से परेशान हैं तो इससे सभी ग्रह शांत होकर आपको शुभ फल प्रदान करेंगे, अगर आप ईसे धारण करके यात्रा पर जायेंगे तो आपकी यात्रा शुभ होगी और सभी प्रकार की दुर्घटना से रक्षा होगी।

अगर किसी बालक को नजर लग गई हैं तो ईस दिव्य कवच को भोजपत्र पर लिखकर बच्चों के गले में बांधने से बच्चों की दृष्ट उतर जाती हैं और वह स्वस्थ होता हैं।

ईस दिव्य कवच का प्रतिदिन केवल दर्शन करने मात्र से भुत पिशाच्च और यक्षीणी की बाधा दुर होती हैं। और सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त होता हैं।

तो दोस्तों ईस दिव्य कवच को धारण करें और अपने जीवन को सुखी,समृद्ध और दिर्घायु बनायें , अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो कमेंट मे जरूर लीखे।

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