हथेली देखकर भविष्यवाणी करें भाग- 1
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नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है।

कुछ महत्वपूर्ण बातें:-

दोस्तों आज हम हस्तरेखा से भविष्यवाणी करने की जानकारी आपको देने वाले हैं यह टॉपीक काफी लंबा हो सकता हैं इसीलिए हम ईसका क्रमवार तरीके से संपुर्ण ज्ञान देने की कोशिश करेंगे दोस्तों यह ज्ञान इतना गहरा है के आप ईसे लेते लेते थक जायेंगे तब भी आप ईस ज्ञान को पुर्ण रूप से ग्रहण नहीं कर पाओगे, तो दोस्तों हम ईस ज्ञान को प्रत्येक भाग में बांटने की कोशिश करेंगे।

दोस्तों हर व्यक्ति स्वाभाविक रूप से मन में एह ईच्छा जरूर रखता है की वह अपने भविष्य को खुद ही जाने, ईसके बावजूद कयी व्यक्ती ऐसे भी हैं जो अपने साथ साथ दूसरों के भविष्य जानने में भी रूची रखता है। 

हर कोई सोचता है की जो भी घटनाएं भविष्य में घटित होने वाली है उसे पहले ही ज्ञात करें और जिवन में आने वाले सभी दुखों को दूर करके अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बना सके।

दोस्तों देखा जाए तो हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित कयी प्रकार की विधीयां है जीससे हम भविष्य को देख सकते हैं, जैसे के हस्तरेखा, फलीत ज्योतिष, मुखाकृति ज्योतिष,प्रश्न ज्योतिष आदी कयी प्रकार की विधीयां हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है। लेकिन बाकी सभी प्रकार की विधीयों में कयी प्रकार की साधनाएं तथा ध्यान आदी की जरूरत होती हैं इसके कारण कयी बार यह प्रयोग निष्फल होते हैं और व्यक्ती का आत्मविश्वास कम हो जाता हैं। लेकिन दोस्तों मज़े की बात यह है की हस्तरेखा विज्ञान ही भविष्य देखने की ऐसी विधि हैं इसमें किसी और साधनों की जरूरत नहीं होती हैं।

 आप केवल और केवल अगले व्यक्ती की हाथ की रेखाएं देखकर ही सही भविष्यवाणी कर सकते हैं।

दोस्तों ईस दुनिया में हर कोई व्यक्ति अलग अलग भाग्य लेकर आया है जीस प्रकार हर व्यक्ति की जन्म कुण्डली एक जैसी नही होती है ठिक उसी प्रकार हर व्यक्ति की हस्तरेखाएं भी एक समान नही होती है।

 हालांकि हमें हाथ पर चार पांच रेखाएं ही दिखाई देती हैं लेकिन अगर हम सुक्ष्म दृष्टि से देखेंगे तो आपको अनंत रेखाएं नजर आयेगी। अगर आप सुबह के समय में हाथ की रेखाएं देखोगे तो तो आपको यह स्पष्ट रूप से दीखाई देगी इसीलिए कयी भविष्यकार सिर्फ सुबह के समय ही हाथ देखकर भविष्यवाणी करते हैं।

 अगर आप हस्तरेखा के सर्वश्रेष्ठ भवीष्यकार बनना चाहते हैं तो आप को हाथ की सभी सुक्ष्म से सुक्ष्म रेखाओं का अभ्यास करना बहुत जरूरी है क्योंकि हाथ में स्थित हर सुक्ष्म से सुक्ष्म रेखा भी असाधारण और जीवन को पुर्ण रूप से बदल देने वाली हो सकती हैं इसीलिए आपको अपनी सुक्ष्म दृष्टि और मानसिक संतुलन पहले दृढ करने की जरूरत है।

हाथ:- 

अपने मणीबंध से लेकर मध्यमा उंगली के सीरे तक और बायीं ओर से दाहीनी ओर तक की चौड़ाई को हाथ कहा जाता हैं और यहां पर पाएं जाने वाले सुक्ष्म से सुक्ष्म बिंदु और सुक्ष्म से सुक्ष्म रेखाओं का एक अलग ही महत्व होता हैं।

उंगलीया: 

हथेली के सीरे पर चार उंगलीया होती हैं और एक अंगुठा होता हैं। अंगुठे के पास वाली उंगली को तर्जनी, ईसके आगे की उंगली को मध्यमा ईसके बाद अनामिका और बाद में आने वाली छोटी उंगली को कनीष्ठीका कहां जाता हैं।

त्वचा: 

हथेली की त्वचा, रंग, और लचक ये भी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। कठीन, रूखा, हाथ ज्यादा मेहनत करने वाले का और कामुक व्यक्ति का होता हैं। नरम, मुलायम, एवं कोमल हाथ सहिष्णु, खुले मन वालें, भावनाओं के प्रति संवेदनशील, एवं बुद्धिमान व्यक्ति का होता है।

ईसके विपरीत कुछ व्यक्तीओं के हाथ ना तो ज्यादा कठोर होते हैं और ना ही ज्यादा नरम होते हैं तों उनके बारे मे तो य वधह कहना सही है की ऐसे व्यक्ति हर कार्य को सोच-समझकर करते हैं और उनमें सभी भावनायें भी समय के अनुसार ही उत्पन्न होती हैं।ना वे ज्यादा कामुकता दर्शाते हैं और ना हीं अपनी किसी वासना में अंधे होते हैं। उनका हर गुण अन्य लोगों की अपेक्षा विशेष होता हैं।

हथेली का रंग:

 भविष्यवाणी करने में हथेली का रंग भी काफी महत्व रखता है, साधारण गुलाबी हथेली वाले व्यक्ति सदा सुखी, खुले मन के, उदार, होते हैं। गहरी गुलाबी हथेली वाले व्यक्ति स्वस्थ, वृत्ति में चंचल, और अशांत मन के होते हैं।पिले रंग की हथेली वाले व्यक्ति ज्यादा सोचने वाले तथा जल्द ही निराश होने वाले होते हैं।निले रंग की हथेली वाले व्यक्ति जरूर कीसी न कीसी बिमारी को दर्शाते हैं। और छोटे से संकट में भी हार मानने वाले होते हैं।

शास्त्रों में सामान्यतः हाथों को सात प्रकारों में बांटा गया है;-

1) सामान्य हाथ
2) दार्शनिक हाथ
3) वर्गाकार हाथ
5) कर्मठ हाथ
6) आदर्श हाथ
7) मीश्रीत हाथ

1) सामान्य  हाथ;-

 यह हाथ ज्यादातर व्यक्तीओं में देखने को मिलता हैं, यह हाथ बेडौल, और खुरदरा सा होता है ईसकी उंगलीया छोटी छोटी और बेडौल रोम से युक्त होता है शास्त्रों के अनुसार ऐसा व्यक्ति ज्यादातर मामलों में असफल ही कहां जा सकता हैं। ऐसे व्यक्ति ना तो शारीरिक श्रम करने में सफल होते हैं और न ही मानसिक श्रम करने की शक्ति इनमें होती हैं। ऐसे व्यक्ति पैसा कमाने के लिए कोई बिच का मार्ग ही निकालते देखें जाते हैं। समाज में ईनको विशेष मान-सम्मान भी नहीं मिल पाता है।

2) दार्शनिक हाथ:-

दार्शनिक हाथ मुख्यत: हाथों के जोड़ों पर गांठें जैसी होना एवं हाथों की हड्डीयां उभरी हुई होना ईस तरह के होते हैं ऐसे हाथों में एक विशेष प्रकार की लचक और कोमलता होती हैं । ऐसे व्यक्ति समाज में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। एवं दुसरों को सही मार्ग दर्शाने वाले होते हैं।

3) वर्गाकार हाथ:- 

वर्गाकार हाथ विशेषतः चौकोर वर्ग के होते हैं, ऐसे व्यक्ति आत्मसम्मानी, दुर की सोच रखने वाले,तथा धनवान होने के बावजूद भी धन के दिखावे से दूर रहने वाले होते हैं।

ऐसे व्यक्ति दुसरों को मदद करने वाले तथा अपने वचन पर अटुट रहने वाले होते हैं। दुसरो को मदद करने में ईनको आनंद आता है।

4) कर्मठ हाथ:-

 यह हाथ चौड़ाई की अपेक्षा ज्यादा लंबाई के होते हैं। यह हाथ मांसल होते हुए भी कठोर प्रतीत होते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति सपने कम देखते हैं और अपनी पर ज्यादा भरोसा करते हैं। ऐसे व्यक्ति सदैव किसी ना किसी कार्य को करने में लगे रहते हैं।

5) कलात्मक हाथ:-

 ऐसे हाथ नर्म, कोमल, चिकने, मृदु,और गुलाबी होते हैं। हथेली लाल रंग लिए हुए होती हैं। उंगलीया पतली, अग्रभाग में नुकीली होती हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति हमेशा बड़े बड़े सपनों में खोए रहते हैं। सौंदर्य और प्रेम पाने के लिए अपने जीवन को भी न्योछावर करने की तैयारी इनमें होती हैं।

6) आदर्श हाथ:-

 यह हाथ अपने आप में कयी प्रकार की विशेषताएं छुपाए रहते हैं। यह हाथ सुडौल,गुदगुदे, और कमाल की लोच लिए होते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति समाज का कल्याण करने वाले, परोपकारी, दुसरों के दुःख बांटने वाले, तीक्ष्ण बुद्धि से युक्त,तथा गहरी कल्पनाशक्ति वाले होते हैं। तथा पुर्ण जीवन अपने आदर्श का रक्षन करते हैं।

7) मीश्रीत हाथ:-

यह हाथ उपर वर्णित सभी हाथों से बिल्कुल अलग होते हैं यानी की यह कहा जा सकता है कि यह हाथ उपर वर्णित हाथों के के थोडे थोडे गुण लेकर बनता है इसमें हाथ की हथेली एक वर्ग की तो उंगलीया दुसरे वर्ग की तो लचक अलग वर्ग की होती हैं।

 ऐसे हाथ वाले व्यक्ति मुश्किल से ही जीवन में सफल होते हैं। इनमें नकारात्मक प्रभाव ज्यादा मात्रा में होता हैं। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन के महत्व को समझने में नाकाम होते हैं। इसलिए ईनके जीवन में प्रगती मुश्किल से ही प्राप्त होती हैं।

तों दोस्तों यह थे कुछ हाथों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें जो की आपको भविष्यवाणी में काफी मददगार साबित हो सकती हैं।

अब हम आपको अंगुठे और उंगलियों के कुछ विशिष्ट रहस्यों के बारे में बतायेंगे जो की भविष्यवाणी करने के लिए आपको ईससे काफी आसानी होगी।

दोस्तों हमारे शास्त्रों के अनुसार स्त्री और पुरुष के अंगुठे को तीन वर्गो में बांटा गया है।

1) अधिक कोण युक्त अंगुठा:-
2) समकोण युक्त अंगुठा:-
3) न्युन कोण युक्त अंगुठा:-

1) अधिक कोण युक्त अंगुठा:-

तर्जनी और अंगूठे से मीलाकर अधिक कोण सा आकार बनाने वाले अंगुठे को अधिक कोण युक्त अंगुठा कहा जाता हैं।

ऐसे अंगुठे वाले व्यक्ति धनवान, कला में रूचि रखने वाले, संगीत के पुजारी होते हैं। और अपनी पहचान भी कला के क्षेत्र में अधिक करते हैं।

2) समकोण युक्त अंगुठा:-

अंगुठा और तर्जनी मीलकर हाथ में समकोण का निर्माण करते हैं तो उस अंगुठे को समकोण युक्त अंगुठा कहा जाता हैं।

ऐसे अंगूठे वाले व्यक्ति कठोर परिश्रम करने वाले, तथा हर कार्य सोच समझकर करने वाले होते हैं।वे किसी भी कार्य में जल्दबाजी नहीं करते हैं। विवेक पुर्ण होने के बावजूद भी ईनको अगर गुस्सा आता हैं तो नियंत्रण रखना कठीन हो जाता हैं और ईसके कारण कयी कार्य में असफलता ईनके हाथ आती हैं।

3) न्युन कोण युक्त अंगुठा:-

अंगुठा और तर्जनी मीलकर हाथ में न्युन कोण बनाते हैं तो उसे न्युन कोण युक्त अंगुठा कहा जाता हैं।

ऐसे अंगूठे वाले व्यक्ति तामसिक, निराशा से हमेशा घिरे हुए तथा ईश्वर के प्रति अश्रद्धा वाले होते हैं। छोटी छोटी बातों पर ईनको बहुत गुस्सा आता हैं।और अपने रिश्तेदारों के साथ मधुर संबंध नहीं रख पाते हैं।

तों दोस्तों यह थी अंगूठे के संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें,अब हम जानते हैं की उंगलियों से संबंधित क्या महत्त्वपूर्ण रहस्य है।

उंगलियों से संबंधित महत्वपूर्ण बातें:-

तर्जनी:- 

हमारे हाथ की पहली उंगली को ( अंगूठे के बाजु में) तर्जनी कहा जाता हैं। ईसके मुल में बृहस्पति का प्रतीनीधीत्व होता हैं और ईसीके कारण ईस भाग को बृहस्पति पर्वत या गुरु का पर्वत कहा जाता हैं।

शास्त्रों के अनुसार यह तर्जनी अनामीका उंगली से अगर लंबी लंबी हो तो ऐसा व्यक्ति शासकीय क्षेत्रों में काफी सफल होता हैं और सभी का बॉस बन जाता हैं।

वहीं अगर तर्जनी अनामीका से छोटी है तो ऐसे व्यक्ति को किसी और व्यक्ति के निचे काम करना पड़ता है, साथ ही ऐसे व्यक्ति खुदगर्ज, अपने काम को किसी भी तरह से मीठी बातें बोलकर निकालने वाले होते हैं। यह कहते कुछ और करते कुछ और है।

मध्यमा:-

यह हमारे हाथ की सबसे बड़ी उंगली होती हैं। ईस उंगली के मुल में शनी का पर्वत होता हैं यह उंगली सबसे लंबी होना सहज हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार जीन लोगों की यह उंगली 1/4 ईंच से अधिक लंबी हो तो वह व्यक्ती दुर्भाग्य का धनी होता हैं।

अनामिका:- 

यह उंगली मध्यमा के बाजू में होती हैं यह आमतौर पर तर्जनी से बडी और मध्यमा से छोटी होती हैं। ईसके मुल में सुर्य का पर्वत माना जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार यह तर्जनी से बडी होनी चाहिए तों शुभ मानी जाती हैं। ऐसा व्यक्ति दयालु, उदार लेकीन कभी कभी खुदगर्ज भी होता हैं लेकिन मन का बड़ा निर्मल होता हैं। ईसके विपरीत अगर यह उंगली तर्जनी से छोटी है तो ऐसे व्यक्ति दुसरों पर हुकुमत करने वाले तथा क्रोधी और कामुक होते हैं।

कनीष्ठीका:-

यह हमारे हथेली की सबसे छोटी उंगली होती हैं इसके मुल में बुध का पर्वत होता हैं। अगर यह उंगली अनामिका के तिसरे पौरूएं को छूने जीतनी लंबी होती हैं तभी यह शुभ मानी जाती हैं। अगर यह उंगली अनामिका के तिसरे पौरूएं को नहीं छुती है तो ईसे अशुभ माना जाता हैं और ऐसे व्यक्ति दुर्भाग्य के धनी होते हैं। शास्त्रों के अनुसार अगर यह उंगली अनामिका के तिसरे पौरूएं को छुकर पौरूएं के उपर चढती है या अनामिका के बराबर लंबी हैं तो ऐसे व्यक्ति उच्च पद को जरूर प्राप्त करते हैं

तों दोस्तों यह थी कुछ अंगूठे और उंगलियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें अगले भाग में हम हथेली के महत्त्वपूर्ण पर्वतों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जो की आपको भविष्यवाणी करने में बहुत ही मददगार साबित होगी।

तों दोस्तों अगर आपके मन में कोई सवाल है तो आप कमेंट में जरूर लीखे हम आपकी कमेंट का जवाब जरूर देंगे।

ईसके बाद दोस्तों अगले पोस्ट में हम बात करेंगे उंगलियों के कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

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