पथरी (kidney stone) के कारण और लक्षण और इलाज

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नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है।

दोस्तों आज हम बात करेंगे की कीडनी और ब्लेडर में पथरी बनने के क्या क्या कारण हो सकते हैं और ईसके लक्षण क्या होते हैं जिससे आपको आसानी से पता चले की आपको भी पथरी (kidney stone) हैं या नहीं है। इसके साथ ही हम आपको कुछ महत्वपूर्ण घरेलू नुस्खे भी बतायेंगे जिससे किडनी स्टोन जड से दूर होगा।

दोस्तों, आज कल पथरी ( kidney stone) काफी तेजी से बढ़ रही हैं। कुछ साल पहले हम बुजुर्गों से यहीं सुनते थे की अगर भोजन के साथ यदि छोटा मोटा कंकड पेट में चला जाता हैं तो पथरी हो सकती हैं। लेकिन यह बात बस कहने और सुनने मात्र की हैं।क्यों की आजकल तो लोग सोर्टेक्स चावल का इस्तेमाल कर रहे हैं और पानी भी फ़िल्टर का पी रहे। फीर भी यह बिमारी काफी तेजी से बढ़ रही हैं। आखिर क्या है ईस बिमारी का कारण? क्या यह बिमारी जड से ठिक हो सकती हैं ईसी के बारे में हम विस्तृत रूप से जानेंगे।

कारण:- हम जो भी पोषकतत्व सेवन करते हैं उसका पाचन हमारे शरीर में होता हैं । जीतने पोषक तत्वों की हमारे शरीर को जरूरत होती हैं वह हमारा शरीर स्टोअर कर लेता है और बाकी बचे हुए पोषक तत्व पेशाब के साथ फेंक देता हैं। अगर कीसी कारणवश हमारा पेशाब साफ नहीं होता हैं तो यह पोषक तत्व पेशाब की नली में तथा कीडनी में जमा होते हैं और फीर वह पोषक तत्व कंकड का रूप धारण करते हैं। पथरी गुर्दों में (Stone in kidney) या फिर ब्लैडर में ( Stone in bladder) भी हो सकती हैं। 
ईसकी साईज  छोटी और बड़ी भी हों सकती हैं कयी लोगों में 20 cm तक की बड़ी पथरी भी देखी गई हैं । जीसको ठिक करने के लिए डॉक्टर्स ऑपरेशन की ही सलाह देते हैं।
इसीलिए हर व्यक्ति को ज्यादा पानी पीना चाहिए इससे पेशाब साफ होकर कचरा दुर होने में मदद होती हैं और पथरी बननेकी संभावना भी कम होती हैं।
 पथरी के प्रकार:- मुख्यत: पथरी के दो प्रमुख प्रकार हो सकते हैं पहला हैं शरिर में ज्यादा मात्रा में केल्शिअम बढ़ने के कारण केल्शिअम का स्टोन बनता है। और दुसरे में युरीक एसीड की मात्रा बढ़ने से युरीक एसीड का स्टोन बनता है। ऐसे व्यक्ति अगर कोई दवा लेकर स्टोन को ठिक करते भी हैं तो भी कुछ ही दिनों बाद उनको फीर से पथरी(kidney stone) की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं इसीलिए अगर केल्शीअम(calcium) या युरीक एसीड( Uric acid) के बढ़ने के कारण पथरी हो गई है तो पथरी ठिक करने की औषधियों के साथ केल्शिअम और युरीक एसीड की मात्रा कम करने वाली औषधियों का सेवन भी बहुत जरूरी होता हैं इससे पथरी (kidney stone) एक बार ठिक होने के बाद पुनः उत्पन्न नहीं होती हैं।
पथरी के लक्षण:- अगर किसी व्यक्ति को पथरी (kidney stone) हो गई है तो यह लक्षण दिखाई देते हैं:- 
पिठ तथा पेट  में तिव्र प्रकार का दर्द होना। पेशाब करते समय तेज  दर्द होना, पेशाब के साथ खुन का आना, पेशाब मैले रंग का आना साथ ही पेशाब में कयी बार बदबू भी आती हैं। पेशाब बार बार लेकिन कम मात्रा में आना। पेशाब होने के बाद भी व्यक्ति को ऐसा लगता है की ब्लेडर में पेशाब अभी बाकी है।
कयी बार व्यक्ती का जी मचलता है और उल्टीयां भी हो सकती हैं। कभी कभी अचानक ठंड लगकर बुखार आने जैसा लक्षण दिखाई देता हैं।
उपाय:- आयुर्वेदा में पथरी (kidney stone) को ठिक करने के लिए बहुत ही गुणकारी औषधीयां हैं जिसका उपयोग करके पथरी को जड से ठिक कीया जा सकता हैं क्यों की आयुर्वेदिक औषधियां रोगों की जड में जाकर उसको पुर्ण रूप से निकल देती हैं।
 एलोपैथी में भी दर्द को दूर करने के लिए बहुत सारी दवाएं मौजूद हैं जिसका उपयोग करके कुछ समय के लिए दर्द में राहत पा सकते हैं लेकिन अगर आप पथरी को जड से ठिक करना चाहते हैं तो आपको आयुर्वेद से बढीया दुसरा कोई भी ईलाज नहीं है हो सकता हैं आयुर्वेदिक औषधियों को आपको लंबे समय तक सेवन करना पड सकता हैं लेकिन यही सबसे बढीया ईलाज हैं पथरी को जड से दूर करने का। साथ ही इससे कीसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट भी नहीं होगा आयुर्वेद पुर्ण रूप से निरापद है इसमें कोई संदेह नहीं है।  हम आपको पथरी के लिए कुछ महत्वपूर्ण घरेलू नुस्खों के बारे में भी बतायेंगे। साथ ही आपने जो प्रश्न पुछे थे उनका भी जवाब देंगे। 
किडनी स्टोन को बाहर केसे निकाले? पथरी की सबसे अच्छी दवा कौनसी है? निंबू से पथरी का ईलाज केसे करें? और किडनी स्टोन में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? पथरी का आयुर्वेदिक इलाज क्या हैं? पथरी की जडी बुटी दवा क्या हैं?  तों दोस्तों आपके सभी प्रश्नों के उत्तर आपको ईसी पोस्ट में जरूर मिल जायेंगे। जिससे आपकी पथरी कुछ ही दिनों में पेशाब के साथ टुटकर निकल जायेगी।

 दोस्तों, यह घरेलू नुस्खे बिल्कुल आसान है और निरापद भी है इससे आपके शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई साईड इफेक्ट भी नहीं होगा। हो सकता हैं के यह उपाय आयुर्वेदिक होने के कारण आपको ईसका सेवन लंबे समय तक करना पड़ेगा लेकिन यह बात भी बिल्कुल सही है कि ईन उपायों से आपकी पथरी जड से दूर होगी। और बार बार पथरी बनने की सम्भावना भी समाप्त होगी।

पपीता:- दोस्तों पपीते में ऐसे बहुत सारे तत्त्व पाएं जाते हैं जिससे पथरी टुट जाती हैं । सुबह खाली पेट एक पका हुआ पपीता खाने से कुछ ही दिनों में मुत्रमार्ग की पथरी टुटकर पेशाब के साथ निकल जाती हैं।

मुली:- मुली में मुत्रल तत्व काफी मात्रा में पाएं जाते हैं यह मुत्र की उत्पत्ति को बढाता है जब कीसी कारण मुत्र बनना बंद हो जाता हैं तो शरीर का सभी कचरा शरीर में ही जमा होना आरंभ होता हैं जिससे गुर्दों पर काफी मात्रा में दबाव आना आरंभ होता हैं गुर्दों पर सुजन आती हैं और फीर सारे शरीर पर भी सुजन आती हैं ऐसी परिस्थिति में गुर्दे नाकाम होते हैं जिसको किडनी फेलियर ( Kidney failure) भी कहा जाता हैं। यह परीस्थीती काफी गंभीर रूप ले लेती हैं। इसमें व्यक्ती को कुछ भी हों सकता हैं। ऐसी स्थिति उत्पन्न ही ना हो इसके लिए सुबह खाली पेट एक कच्ची मुली अथवा मुली का स्वरस बिस से पच्चीस मीली लगातार कुछ सप्ताह तक सेवन करने से शरीर में पर्याप्त मात्रा में मुत्र बनना आरंभ होता हैं और पेशाब खुलकर आता हैं इससे शरीर की सुजन तथा गुर्दों की सुजन भी ठीक होती हैं। और पथरी भी टुटकर निकल जाती हैं।

जीरा:- जिरा में काफी मात्रा में पोटेशियम पाया जाता हैं जो पेशाब खुलकर लाने में बहुत ही लाभदायक है। आधुनिक हुई रिसर्च अनुसार जिरा में पथरी रोधक (Antilithiatic) गुण प्रचुर मात्रा में पाएं गयें हैं। पथरी को दूर करने के लिए जिरा बहुत ही गुणकारी है इसके लिए दो तीन ग्राम जिरे का चूर्ण सुबह-शाम ताजे पानी के साथ लेने से कुछ ही दिनों में पथरी टुटकर पेशाब के साथ निकल जाती हैं। या फिर दस ग्राम जिरा लेकर रात को एक ग्लास पानी में भिगोकर रखें सुबह ईसको अच्छी तरह से मसलकर छान कर पी लें यह प्रयोग नियमित रूप से कुछ सप्ताह तक करें इससे निश्चित ही पथरी दूर होगी। जिरा तासीर में ठंडा होता हैं इसके कारण यह मुत्रमार्ग की जलन को भी दुर करता है।

निम के पत्ते:- पथरी को दूर करने के लिए निम के पत्ते भी बहुत ही लाभदायक है। ईसके लिए निम के पत्तीयों की रक्षा लगबग दो तीन ग्राम सुबह खाली पेट और शाम को सोते समय लेने से कुछ ही सप्ताह में पथरी टुटकर निकल जायेगी।

कपीत्थ के पत्ते:- हमारे प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में कपित्थ को पथरी के रोगियों के लिए बहुत ही लाभकारी माना गया है कयी पहाड़ी इलाकों में वैद्यराज ईसके पत्तों से बहुत सारे पथरी के रोगियों को आज भी ठीक कर रहे हैं। आयुर्वेद ग्रंथानुसार कपित्थ के ताजे पत्तों का रस लगभग बीस से पच्चीस मीली सुबह खाली पेट और शाम को लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से बडी से बडी पथरी भी टुटकर पेशाब के मार्ग से निकल जाती हैं।

बथुआ:- बथुआ मुत्र मार्ग की सभी रूकावटें दुर करने में बहुत ही गुणकारी है । ईसकी प्रतीदिन सब्जी बनाकर खाने से अथवा ईसके ताजे पत्तों का रस लगभग बीस से पच्चीस मीली सुबह खाली पेट और शाम को एकबार मीश्री मीलाकर पीने से पथरी को यह दुर करता है। साथ ही अगर मुत्रावरोध के कारण शरीर पर या गुर्दों पर सुजन आ गई हैं तो भी इससे ठिक होती हैं।

मेहंदी के पत्ते:- मेहंदी के पत्तों में काफी मात्रा में हेन्नोटेनीक एसीड ( Henno-tannic acid) पाया जाता हैं जो की शरीर में युरीक एसीड की मात्रा को कम करने में बहुत ही प्रभावशाली है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में युरिक एसीड बढ़ने के कारण पथरी बन गई हैं। कयी प्रकार की औषधियों का सेवन करने पर भी बार बार पथरी बनती ही रहती हैं तो मेहंदी के पत्ते उनके लिए रामबाण साबित हो सकते हैं। बिस ग्राम मेहंदी के पत्तों को रात को एक ग्लास पानी में भिगोकर रखें सुबह ईसको अच्छी तरह से मसलकर छान लें और इसे खाली पेट ही पी जाएं यह प्रयोग नियमित रूप से कुछ सप्ताह तक करें तो ईस उपाय से पथरी टुटकर पेशाब के साथ निकल जाती हैं। और बार बार पथरी बनने की सम्भावना भी समाप्त होती हैं। चाहे कितना भी पुराना पथरी का रोग हो इससे निश्चित ही ठिक होता हैं।

निंबू:- निंबू में प्रर्याप्त मात्रा में सायट्रीक एसीड और विटामिन सी पाया जाता हैं। इसमें स्थीत सायट्रीक एसीड पेशाब की अम्लता को कम करता हैं इससे पेशाब में होने वाली पिडा काफी हद तक ठिक होती हैं और पेशाब के साथ खुन का आना भी ठीक होता हैं। और इसमें स्थीत विटामिन सी पेशाब में ईन्फेक्शन होने की वजह से अगर पेशाब की नली में जख्म बन गयें हैं तों उन्हें जल्द से जल्द ठिक करने में मदद करता हैं।

किडनी स्टोन में क्या खाएं और क्या ना खाएं?

जीन लोगों को पथरी ( Kidney stone) की शिकायत हो वे लोग ज्यादा केल्शिअम युक्त भोजन ना लें। जैसे के दुध, और दुध से बनी चीजें,चुना, चिकु, चाय, कॉफी, मसालें,  टमाटर🍅, चिरोंजी, पालक, मांसाहार, मछली, आदि। साथ ही जीन चिजों में युरिक एसीड की मात्रा ज्यादा होती हैं उनका भी सेवन कम मात्रा में ही करें। ताजे फल, घुइयां की सब्जी, बथुआ की सब्जी,गाजर 🥕, आदि का सेवन लाभकारी रहेगा।