लीवर रोग की अद्भुत औषधि भुमी आंवला:

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 नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है

दोस्तों आज हम बात करेंगे एक बहुत ही दिव्य औषधि पौधे के बारे में जो की सभी प्रकार के लीवर के रोग में बहुत ही गुणकारी है इस दिव्य औषधि का नाम है भुमी आंवला।

दोस्तों ये औषधि पौधा आमतौरपर खुले क्षेत्रों में आसानी से पाया जाता हैं। यह पौधा प्राय: बरसात के मौसम में स्वयंजात से उत्पन्न होता है। ईसकी उंचाई लगभग दो फीट तक होती हैं, इसमें दिसंबर से लेकर जनवरी तक हल्के पीत रंग के पुष्प आते हैं। और ईसके बाद इसमें छोटे-छोटे आंवले की तरह फल आने प्रारंभ होते हैं। ईसके फल बिल्कुल आंवले की तरह होने के कारण ही ईसे भुमी आंवला कहा जाता हैं।

विभिन्न नाम: 

बोटेनिकल: phylanthus niruri

अंग्रेजी: stone braker

संस्कृत: बहुपत्री

हिंदी: भुमी आंवला

मराठी: भुई आवळा

कन्नड़: भुई नेल्ली

तामील:कीलान्नेली

तेलुगू; नेला उसीराका

गुणधर्म:

तिक्त, कषाय, मधुर,लघु,रूक्ष

प्रचलित योग:

लिवटोन सायरप, लीवफीट टेबलेट और सीरप, लीव 52 टेबलेट और सीरप

रोगानुसार उपयोग:

लीवर रोग ( लीवर की सुजन, फैटी लीवर, लीवर सिरोसिस,भुक की कमी): -

2-3 ग्राम पंचाग लेकर ईसे 200 ग्राम पानी में उबालकर जब 50 ग्राम पानी शेष रहे तब उतारकर छान लें और ईसे सुबह-शाम पीयें तों लीवर संबंधित सभी रोग दूर होते हैं। यह एक बार का खुराक हैं ईसी तरह आप इसका ताजा क्वाथ बनाकर सुबह-शाम एक सप्ताह तक लगातार सेवन करने से आशातीत लाभ मिलेगा।

पुराणा बुखार,हड्डी बुखार: 

जीन लोगों को सदैव बुखार रहता हैं, शरीर हमेशा गर्म महसूस होता है, भोजन की इच्छा नहीं होती है, शरीर में टुटने जैसा दर्द रहता हैं तो ईस औषधि का पंचांग और गीलोय सम भाग लेकर उपर बताए नुसार काढा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से हड्डी बुखार सदैव के लिए ठीक होता है। और भुक भी खुलकर लगती हैं।

रक्त प्रदर: 

जीन माता बहनों को माहवारी के दौरान ज्यादा मात्रा में रक्त स्राव होता है या माहवारी के बाद हूं कयीं दिनों तक लगातार रक्त स्राव होता है तो इसकी जड़ का चूर्ण लगभग 2-3 ग्राम की मात्रा में लेकर ईसे चावल के पानी के साथ कुछ दिन तक लगातार सेवन करने से रक्त प्रदर में आशातीत लाभ मिलता है।

पेशाब में ईन्फेक्शन होना ( पेशाब के साथ खुन और पिब का आना) : 

अगर किसी व्यक्ति को पेशाब के साथ खुन और पिब आता है तो ईस औषधि के पत्तों के रस में थोड़ा सा जीरें का चूर्ण और मिश्री मिलाकर दिन में दो बार पिने से पेशाब का ईन्फेक्शन ठीक होता है

दाद,खाज, खुजली:

 ईस तरह के सभी त्वचा के रोग ठीक करने के लिए ईसके ताजे पत्तों को नमक मिलाकर पिसकर त्वचा पर लगाने से दाद खाज खुजली ठीक होते हैं।