मोटापा कम करने की अद्भुत औषधी है कत्था:-

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नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है

दोस्तों आज हम बात करेंगे कत्थे के औषधि उपयोगों के बारे में।

दोस्तों हम कत्थे का कयी रुप में उपयोग करते हैं। पान मसाला, तथा सादे पान के साथ हम ईसको नियमित रूप से उपयोग में लेते हैं। लेकिन दोस्तों क्या आपको पता है की यह कत्था कितने सारे रोग को ठीक करता हैं? तों दोस्तों आज हम ईसी कत्थे के कुछ महत्वपूर्ण औषधि उपयोगों के बारे में जानेंगे।

दोस्तों यह कत्था एक प्रकार के पेड का घन सत्व (crude extract) होता हैं।ईस पेड़ का नाम है खदिर। यह तीन प्रकार का होता हैं एक लाल  दुसरा सफेद और काले रंग का औषधि रूप में तिनों प्रकार के कत्थे का उपयोग किया जाता हैं।

दोस्तों यह पेड प्राय: जंगलों में स्वयं जात से उत्पन्न होते हैं।ईसकी उंचाई लगभग 25 फीट के उपर भी हो सकती हैं। ईसके पत्ते बबुल के पत्तों के समान होते हैं तथा इसमें छोटे-छोटे कांटे होते हैं। ईसके फुल मंजरीयो में हरित रंग के होते हैं।ईसकी फलीया चपटी दो से तीन इंच तक लंबी होती हैं।

विभिन्न नाम:- 

अंग्रेजी:- black couch tree

बोटेनिकल नाम:-acacia catechu, mimosa catechu

हिंदी:- दंत धवन

मराठी:- खैर

संस्कृत:- खदिर

प्रचलित योग:- खदिरादी बंटी, खदिरारिष्ट,ईरिमेदादि तेल

 औषधीय उपयोग:-

अतिसार, आवयुक्त शौच, :- 

अगर बार बार पतले शौच आते हैं, शौच के साथ आंव आती हैं तथा पेट में दर्द होता हैं तों तिन ग्राम कत्थे का चुर्ण थोडे से शहद के साथ लेने से आराम मिलता हैं।

बार बार पेशाब का आना:-

अगर बार बार पेशाब आता हैं जीसे उदकमेह कहा जाता हैं या मधुमेह के कारण बार बार पेशाब आता हैं तो तीन ग्राम कत्थे का चुर्ण समभाग गुड मीलाकर खाने से बार बार पेशाब का आना ठीक होता हैं। मधुमेह के रोगी गुड का प्रयोग ना करें।

पुराने घाव:-

हर प्रकार के घांवों को ठीक करने के लिए कत्थे का प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। अगर घावों में ईन्फेक्शन हुआ है , पिब आता हैं या दुर्गंध आती हैं तो पहले घांव को अच्छी तरह से साफ करके उस पर कत्थे का चुर्ण डाल दें और ऊपर से पट्टी बांध दें तो कुछ ही दिनों में घांव पुर्ण रूप से भर जायेंगे।

रक्त प्रदर:-

अगर किसी स्त्री को रक्त प्रदर की शिकायत हो तो कत्थे का चुर्ण थोडे से पानी के साथ लेने से रक्त प्रदर ठीक होता हैं।

मुंह के छालें:-

मुंह में अगर छालें हों गयें हैं और किसी भी दवा से ठीक नहीं हो रहे हैं तो थोडा सा काला कत्था और इलायची लेकर थोडे से पानी में उबालें और इससे कुल्ले करें तो ईसके प्रयोग से कठीन से कठीन छालें भी ठीक होते हैं।

मोटापा दूर:- 

अगर कोई व्यक्ति मोटापा कम करना चाहता है तो उसके लिए भी कत्था जबरदस्त उपयोगी है। ईसके लिए दो तीन ग्राम कत्थे का चुर्ण थोडे से पानी के साथ लगातार सेवन करने से कुछ ही महीनों में निश्चित ही मोटापा दूर होता हैं आपको अन्य किसी भी औषधि का सेवन करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी केवल ईसे ही लंबे समय तक सेवन करें। साथ ही यह मधुमेह में भी उपयोगी हैं।

तों दोस्तों यह थे कुछ कत्थे के औषधि उपयोग ईसका उपयोग करके आपके शरीर को स्वस्थ और मजबूत रखें।

आपके प्रश्न हमारे उत्तर

बवासीर में कत्थे का इस्तेमाल?

उत्तर- बवासीर में मस्सों से निकलने वाले खुन को बंद करने के लिए कत्था बहुत ही लाभदायक माना जाता हैं। कत्थे का चुर्ण लगभग दो तीन ग्राम समान मीश्री मीलाकर ताजे पानी के दिन में दो तीन बार लेने से कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्सों से खून का आना ठीक होता हैं।

बालों के लिए कत्था?

उत्तर- सफेद बालों को जड से काला करने के लिए भी कत्थे का पेस्ट का उपयोग बहुत ही लाभदायक होता हैं। इसको आप आसानी से अपने घर पर ही बना सकते हैं। सबसे पहले बिसात ग्राम काले कत्थे का चुर्ण लेकर उसमें उबले हुए चाय की पत्ती का पानी मीलाएं फीर इसमें बिस्तर ग्राम मेहंदी के पत्तों का चूर्ण और दो ग्राम लोहे का बारीक कीट डालकर इस मीश्रण को अच्छी तरह से घोंट लें । अगर घोंटते समय यह सुखा पड़ने लगे तो इसमें उबली हुई चाय की पत्तियों का पानी ही डालते रहें।जब यह अच्छी तरह से पेस्ट बना जाएं तो इसको ढककर रातभर ऐसा ही रहने दें सुबह तक यह बिल्कुल सॉफ्ट और मुलायम पेस्ट बना जायेगा। सुबह इसमें फीर थोड़ा सा चाय की पत्तियों का पानी डालकर अपने हिसाब से पतला या गाढ़ा बना सकते हैं। सुबह अपने बालों को पानी से धोकर कंघी से मेनेज करें । अब इस पेस्ट को बालों के रुट तक अच्छी तरह से लगादें और एक घंटे तक रहने दें। बाद में अपने बालों को धो डालें। इसी प्रकार कुछ दिन तक लगातार यह प्रयोग करने से आपके बाल झड़ से काले हो जायेंगे। इससे कीसी भी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होगा कर्मों की इसमें कीसी भी प्रकार का केमीकल मीला हुआ नहीं है। यह पुर्ण रूप से हर्बल हैं।

कत्थे के पेड़ तांत्रिक उपाय क्या हैं?

उत्तर- कत्थे का पेड़ आयुर्वेद में तों उपयोगी है ही इसके साथ ही यह बहुत सारे तांत्रिक प्रयोगों में भी उपयोगी माना जाता हैं। कठीन मंत्रों की सीद्धी प्राप्त करने के लिएं इसका उपयोग कीया जाता हैं। इसके साथ ही शरीर के पुराने से पुराने नासुर जैसे लोग को ठीक करने के लिएं भी इसकी जड़ को विधिपुर्वक लाकर गले में धारण कीया जाता हैं।इससे नासुर भी ठिक होते हैं।

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