शनीदेव का प्रभावी स्त्रोत

Shanidev-ke-upaay


नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है।

दोस्तों आज हम आपको शनीदेव का प्रभावी स्त्रोत के बारे में बतायेंगे ईस स्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।

दोस्तों शनिदेव को न्याय प्रिय देवता माना जाता है।जो जैसे कर्म करता हैं उसीके अनुसार शनीदेव उनको दंड देते हैं।चाहे वह राजा हो या रंक हो उनका न्याय सभी के साथ बराबर होता है।

पिछले जन्म के कर्मों के अनुसार शनीदेव इस जनम में दंड का निर्धारण करते हैं। कुंडली में शनि देव की ग़लत प्लेसमेंट व्यक्ती को कयी तरह के कष्ट, रोग तथा दुःख देने वाली होती हैं।

शास्त्रों के अनुसार कुंडली के द्वितीय, षष्ठम,अष्टम, तथा द्वादश भाव में स्थित शनीदेव व्यक्ती को असहनीय पिडा देने वाले माने गए हैं।ईस भाव में स्थित शनीदेव व्यक्ती का पुर्ण जीवन नरक की तरह बना देते हैं। ऐसे व्यक्ति को शनीदेव की महादशा में अनेक प्रकार के कष्ट, बिमारी, कर्जा, जेल, एक्सीडेंट,तथा असाध्य रोगों का सामना करना पड़ता है।

तो दोस्तों अगर आप भी शनीदेव की अवकृपा का शीकार बन रहे हैं या फिर आप भी शनीदेव से किसी भी प्रकार से पिडीत है तो ईस स्तोत्र का पाठ नित्य प्रति ११ बार पिपल के पेड़ के नीचे बैठकर करें तो निश्चित ही शनीदेव शांत होंगे और वह खुद आपके सभी कष्टों का निवारण करेंगे। दोस्तों ईस स्तोत्र का निर्माण पिपल्लाद ऋषि ने कीया हैं यह दिव्य स्तोत्र है और अपना प्रभाव शीघ्र ही दिखाता है।

स्तोत्र ईस प्रकार है:

कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौंद्रांतको यम:।

सौरी: शनेश्चरो   मन्द: पिप्पलाश्रय संस्थींत:।।

एतानी शनी नामानी जपेदश्वत्थ संन्नीधौ:। 

शनेश्र्चरकृत पिडान कदापि भविष्यती।।

तो दोस्तों ये हैं शनीदेव का दिव्य प्रभावी स्तोत्र ईसे प्रतीदिन पिपल के पेड़ के नीचे बैठकर ११ बार पाठ करें तो निश्चित ही शनीदेव शांत होकर आपका जीवन आनंदित करेंगे।