आंवले के 14 फायदे शायद ही आपको पता है

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दोस्तों आंवला आयुर्वेद शास्त्र का एक अती प्रसीद्ध औषधीय फल माना जाता हैं। ईसके वृक्ष सामान्यतः भारत के सभी प्रांतों में आसानी से मिल जाते हैं। जंगलों में ईसके वृक्ष स्वयंजात रूप से मील जाते हैं। आजकल ईसकी खेती भी की जा रही हैं। इसके वृक्ष 8-10 मीटर ऊंचे या इससे से भी बडे होते हैं।ईसकी शाखाएं प्राय: छत्ते की तरह फैली हुई होती हैं। इसके उपरी तने का रंग धुसर और अंतरछाल लाल रंग लिए हुए होती हैं।

इसके पत्ते हरे रंग के बिल्कुल इमली के पत्तों की तरह लेकिन उससे कुछ छोटे आकार के होते हैं। इसके फुल पतझड के बाद वसंत ऋतु में  हल्के पीत रंग के पत्तों के निचले भाग में  छोटे छोटे गुच्छों में लगते हैं। जुलाई से लेकर अगस्त तक इसमें फल आने प्रारंभ होते हैं और नवंबर तक यह काफी बडे हो जाते हैं। और फरवरी से मार्च तक यह फल पकने लगते हैं।

इसके फल हरित-पित रंग के गोल और चिकने होते हैं।इनका स्वाद पहले कसैलापन लिए हुए खट्टा होता हैं पर बाद में मीठा लगता है।इसके बिज काफी सख्त होते हैं।

विभिन्न नाम

बोटेनिकल नाम- Embelica officinalis

अंग्रेजी नाम - Indian gooseberry

संस्कृत नाम- आमलकी,धात्री फल

अरबी नाम- आमलज

फारसी नाम- आमलह

हिंदी नाम- आंवला, आमला

मराठी नाम- आवळा

 आंवले के गुणधर्म

आयुर्वेदानुसार आंवला कसैला, अम्लता लिए हुए कडुआ, मधुर,हल्का, रूक्ष, शीतल, वात, पित्त, तथा कफ का शमन करने वाला होता हैं।यह लिवर को ताकत देने वाला, हल्का विरेचक,दीपक, रसायन, आंखों की रोशनी बढ़ाने वाला,बालों को पोषण देने वाला तथा असमय बालों को सफेद होने से बचाता है। ईसके साथ ही यह धातुवर्धक, विर्य को शुद्ध करने वाला और शरीर की कांति को बढ़ाने वाला होता है। ताजे आंवलों में सुखे आंवलों की अपेक्षा औषधि गुण अधिक होते हैं।

आंवला में विटामिन सी अन्य फलों की अपेक्षा अधिक मात्रा में पाया जाता हैं । विटामिन सी का यह बहुत ही सस्ता और आसान भांडार हैं। जो किसी भी व्यक्ति को आसानी से प्राप्त होने वाला हैं। सौ ग्राम आंवलों में लगबग 500 - 900 मीलीग्राम तक विटामिन सी पाया जाता हैं। जो आंवलों को सुखाने और उबालने के बाद भी कम नहीं होता हैं। आधुनिक हुई रिसर्च अनुसार आंवला श्वास-कास, तथा क्षयरोग (Tuberculosis) जैसे भयानक रोगों को ठीक करने की क्षमता रखता है। क्षयरोग ( Tuberculosis) में आई कमजोरी को दूर करने में यह बहुत ही लाभदायक पाया गया है। बाजार में इससे बना मुरब्बा और चटपटी रोचक गोलीयां आसानी से मिल जाती हैं।

आंवले का मुरब्बा बनाने की विधि

बड़े और अच्छे आंवलों को लेकर पुरे फल में सुई चुभोकर छीद्र करलें। इसके बाद इन सभी फलों को चुने की कली के पानी में कुछ देर तक भीगो दें । थोड़ी देर बाद ईन फलों को पानी में से निकाल कर साफ कर लें। अब इन फलों को उबलते हुए पानी में डालकर कुछ देर तक उबालें । अच्छी तरह उबलने के बाद इनको उतारकर साफ करलें। अब आंवलों के फलों के दुगुनी मात्रा में मीश्री या चिनी लेकर इसकी चाशनी बनाएं। इस चाशनी में उबालकर साफ कीएं हुए आंवले के फलों को डाल दें और कीसी साफ कांच की बरनी में डालकर अच्छी तरह से ढक्कन लगाकर रख दें तो आपका मुरब्बा बिल्कुल तैयार हैं। इस तरह से बनाया हुआ मुरब्बा एक साल तक खराब नहीं होता हैं।इसीका उपयोग औषधि के रूप में करें।

आंवले की स्वादिष्ट चटनी

 100 ग्राम बड़े और अच्छे ताजे  आंवलों को लेकर उनको साफ पानी से धो लें। फीर उसमें के बिजों को निकालकर फेंक दें। फीर इसके बराबर मात्रा में पानी लेकर मीक्सर में डालकर ईसकी बारीक पेस्ट बनाएं।अब ईस पेस्ट में सौ ग्राम शक्कर, पांच ग्राम इलायची, पांच ग्राम मीर्च का पावडर,बिस ग्राम प्याज, पांच ग्राम लहसुन की कलियां, दालचीनी दो ग्राम, तथा स्वाद के लिए नमक मिलाकर अच्छी तरह से पकालें। अच्छी तरह से पकने के बाद इसे गर्म गर्म ही सर्व्ह करें।

आंवले के औषधि उपयोग

लु के लिए ( Loo) - गर्मी के मौसम में आंवले का शर्बत अमृत समान लाभकारी है। इसका शर्बत बनाकर सुबह-शाम नियमित रूप से पीने से शरीर में पानी की कमी ( Dehydration) नहीं होती हैं। और लु लगने का खतरा नहीं होता हैं। साथ ही इससे गर्मी के कारण बढा हुआ पित्त विकार भी ठीक होता हैं।

कब्ज (Constipation)- जो लोग कब्ज (Constipation) से पिडीत है, शौच साफ नहीं होता हैं तो आंवला, बहेड़ा और बड़ी हरड का छिलका समान मात्रा में लेकर इसका चुर्ण बनाएं। इसमें से पांच ग्राम चूर्ण को पानी के साथ सुबह शाम लेने से पेट साफ होता हैं और कब्ज (Constipation) दुर होता हैं।

मधुमेह( Diabetes) - मधुमेह के रोगियों के लिए आंवला अमृत समान लाभकारी होता हैं। मधुमेह के कारण शरीर के सप्त धातु क्षीण हो जाते हैं और रोगी दिन-ब-दिन कमजोर होता जाता हैं। ऐसी परिस्थिति में आंवले का चूर्ण पांच ग्राम दूध या पानी के साथ सुबह शाम लेने से सप्त धातुओं की वृद्धि होती हैं और शरीर में नयी ताकत बनने लगती हैं।

स्वप्नदोष, शिघ्रपतन( Night emission and premature ejaculation) - यह बिमारी प्राय: नौजवानों में बहुतायत से देखी जाती हैं। बार बार स्वप्नदोष होने के कारण शरीर कमजोर हो जाता हैं और आंखों के नीचे काले घेरे दिखाई देते हैं। ऐसी परिस्थिति में आंवले का सेवन बहुत ही लाभदायक हो सकता हैं। सुखे आंवले का चूर्ण लगभग पांच ग्राम ताजे पानी के साथ सुबह शाम लेने से कुछ ही दिनों में स्वप्नदोष ठीक होता हैं।और शिघ्रपतन भी दुर होता हैं।

स्त्रीयों में सफेद पानी के लिए ( Leucorrhea) -  जीन स्त्रियों को सफेद प्रदर की शिकायत हो तो उनके लिए आंवला काफी लाभदायक होता हैं। इसके लिए सुखे आंवलों का चूर्ण लगभग तीन ग्राम दुगुने शहद के साथ सुबह शाम लेने से कुछ ही दिनों में सफेद प्रदर(Leucorrhea) ठीक होता हैं।

पित्त विकार- ( Billiousness) - जीन लोगों को बार बार पित्त विकार बढता है उनके लिए आंवले का मुरब्बा बहुत ही लाभदायक है। सुबह शाम आंवले का मुरब्बा सेवन करने से पित्त विकार जड से दूर होता हैं।

आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए( To increase eyesight ) - जीन लोगों के आंखे कमजोर हो गई हैं, की रोशनी कम हो गई हैं उनके लिए आंवला अमृत समान लाभकारी होता हैं। इसके लिए सुखे आंवलों का चूर्ण गाय के शुद्ध घी के साथ सुबह शाम लेने से आंखों की सभी प्रकार की कमजोरी दूर होती हैं और रोशनी बढ़ती है। इसके साथ ही आंवले के फलों को रात में पानी में भिगोकर रखें सुबह ईसको छानकर इस पानी से आंखों को धोयें इससे भी आंखों की रोशनी बढ़ती है।

फोडे फुन्सीयां, और त्वचा के रोग ( Skin disease) - अगर शरीर पर बार बार फोडे, पुनर्सीमांकन आती हैं या कोई त्वचा का रोग है तों आंवला, तील, हल्दी को पानी में अच्छी तरह से घोंट कर पेस्ट बनाएं इस पेस्ट को अपने त्वचा पर लगाने से फोड़े,फुन्सीयां और त्वचा के रोग दूर होते हैं।

बुखार ( Fever) - आंवला और अदरक का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से पसीना आकर बुखार ठीक होता हैं।

गला बैठना( Sore throat) - अगर किसी कारण गला बैठ गया है और आवाज साफ नहीं आती हैं तो पांच ग्राम आंवले का चूर्ण गर्म दूध के साथ लेने से आवाज ठीक होता हैं।

बार बार प्यास लगना ( thirstiness) - जीन लोगों को बार बार प्यास लगती हैं। ऐसा अक्सर डायबिटीज़ के रोगीयों में दिखाई देता हैं , बार बार पानी पिने से भी प्यास लगी रहती हैं तो ताजे आंवले का रस लगभग पचास ग्राम पीने से बार बार प्यास लगना ठीक होता हैं।

एसीडिटी ( Acidity) - जीन लोगों को एसीडिटी की शिकायत हो उनके लिए आंवले का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता हैं। इसके लिए सुखे आंवले का चूर्ण बिस ग्राम और सोंठ का चूर्ण दस ग्राम दोनों को अच्छी तरह से मीलाकर डिब्बे में रखें इसमें से दो तीन ग्राम चूर्ण को पानी के साथ सुबह शाम लेने से एसीडिटी में लाभ मिलता हैं।  

खुन की उल्टीयां ( Blood vomiting) - अगर किसी व्यक्ति को खुन की उल्टीयां ( Blood vomiting) हों रही हैं तो सुखे आंवलों का चूर्ण लगभग पांच ग्राम शहद के साथ लेने से उल्टीयों में आने वाला खुन बंद होता हैं।

खांसी ( Cough) - आंवला, अजवाइन और एक दो कालीमिर्च को दुध में उबालकर पीने से खांसी दूर होती हैं।