गोखरू के फायदे और नुकसान

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हमारे प्राचीन आयुर्वेद के सभी ग्रंथों में गोखरू के औषधि गुणों का विस्तार से वर्णन मिलता हैं। यह धातुरोग और पेशाब संबंधित रोगों की अत्यंत लाभकारी औषधि हैं। मुख्यत: इसमें दो प्रजातियां पाई जाती हैं। एक को छोटा गोखरू और दुसरे को बडा गोखरू कहां जाता हैं। दोनों के बोटेनिकल नाम और कुल अलग-अलग हैं फिर भी औषधीय गुणों में इनमें समानता पाई जाती हैं।यहा वर्णन किया जा रहा हैं छोटे गोखरू का। औषधि रूप में एक के अभाव में दुसरे का उपयोग किया जा सकता हैं।

गोखरू हमारे देश के सभी प्रांतों में सड़कों के किनारे। या खाली क्षेत्रों में आसानी से मिल जाता हैं। इसके छोटे छोटे एक या बहुवर्षायु पौधे जमीन पर फैलते हैं।इसकी पत्तियां दो से तीन इंच तक लंबी तथा आमने-सामने लगी होती हैं। दुरसे देखने पर यह बिल्कुल चने के पौधे की तरह लगते हैं।इसका तना मृदु और छोटे-छोटे श्वेत रंग के रोमों से युक्त होता हैं।

 इसके फुल छोटे छोटे, हल्का पिलापन लिए हुए चक्राकार होते हैं। इन पर पांच पंखुड़ियां होती हैं और कांटे भी होते हैं। इसके फुल शरद ऋतु में आते हैं। इसके बाद इसपर फल आने प्रारंभ होते हैं। गोखरू के फल गोल, पंचकोष्ठीय कांटो से युक्त होता हैं। इसपर आठ से दस कांटे होते हैं । फलों के अंदर छोटे छोटे बिज होते हैं। 

इसकी जड़ रेशेदार, मृदु , चार पांच इंच तक लंबी होती हैं।यह बाहर से हल्के भूरे रंग की दिखती हैं। इसका स्वाद कींचित मीठापन लिए हुए कसैला और सुगंधित होता हैं।

विभिन्न नाम - बोटेनिकल नाम- Tribulus terrestris( छोटा गोखरू) , Pedallium murex (बड़ा गोखरू) अंग्रेजी नाम -  Land calotrops,  संस्कृत नाम - गोक्षुर, वनश्रंगार, त्रिकंटक, हिंदी नाम - गोखरू गुलखुर आदि।

मात्रा - गोखरू के फल का चूर्ण 3-5 ग्राम, काढा बनाने के लिए जड़ और पंचांग 20- 40 ग्राम तक।

संग्रह - इसके पके हुए फलों को छाया में सुखाकर ढक्कनदार डिब्बे में सुरक्षित रखें। जब इसके फल सुखने लगते हैं तभी इसकी जड़ को निकालकर अच्छी तरह से धोकर साफ करें और छाया में सुखाएं और ढक्कनदार डिब्बे में सुरक्षित रखें । इसके फल और जड़ एक वर्ष तक विर्यवान बनी रहती हैं।

गोखरू के औषधि गुणधर्म -

आयुर्वेदानुसार गोखरू शीतविर्य, गुरू, स्निग्ध, मधुर, वात पित्त नाशक, आमाशय को बल देने वाली, क्षुधावर्धक, रसायन, पुरूष शक्ती वर्धक, मुत्रल, कफनिस्सारक, तथा गर्भ स्थापन करने वाला है। साथ ही यह मुत्रकृच्छ, पथरी, नाडीयों की दुर्बलता, वातरोग, रक्तपित्त, तथा बवासीर में लाभकारी है।

आधुनिक हुई रिसर्च अनुसार वैज्ञानिकों का यह दावा हैं की गोखरू का उपयोग सभी प्रकार के गुर्दे के रोग में बहुत ही फायदेमंद होता हैं। इसके नियमित सेवन से पेशाब साफ होकर पथरी ठिक होती हैं। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा हैं कि इसका सेवन बढे हुए प्रोस्टेट के रोगियों में भी लाभदायक होता हैं। यह ब्लैडर उत्तेजित करता हैं इसके कारण पेशाब खुलकर आती हैं और प्रोस्टेट ग्रंथि की सुजन ठीक होती हैं।

 सभी प्रकार के पेशाब के रोगों में जैसे के प्रोस्टैट का बढना, पेशाब का रूक रूककर आना, पेशाब अपने आप निकल जाना नपुंसकता, मुत्राशय की सुजन आदि सभी प्रकार के रोगों में गोखरू बहुत ही फायदेमंद होता हैं।

इसमें नायट्रेट्स काफी मात्रा में होते हैं इसके कारण यह खुलकर पेशाब लाने में बहुत ही सफल औषधि मानी जाती हैं।

गोखरू के औषधि उपयोग

पथरी - गोखरू के सुखें फल पचास ग्राम लेकर इनको थोडा थोडा कुटले। फीर इनको एक लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं जब आधा लीटर पानी शेष रहें तब उतारकर छान लें। इसमें दस ग्राम यवक्षार और पचास ग्राम चीनी मीला कर रखें यह चार बार की दवा हैं। इसको चार चार घंटे के अंतराल से सेवन करें। इससे कुछ ही दिनों में पथरी टुटकर पेशाब के साथ निकल जाती हैं।

धातु कमजोर होना - अगर किसी व्यक्ति का धातु कमजोर हो गया है और उसे गृहस्थ जीवन में रुचि नहीं लग रही हैैं। नपुंसकता आ गई हैं। तो यह यह नुस्खा उनके लिए अमृत समान लाभकारी हो सकता हैं। इसके लिए, गोखरू, शतावरी,सौ सौ ग्राम, लौंग दो ग्राम, तथा सोंठ पांच ग्राम। इन सभी औषधियों को लेकर थोडा थोडा कुट ले। फिर ईसमे दो सौ ग्राम दूध और इतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर उबालें जब केवल दुध ही शेष रहें तब उतारकर छान कर इसमें थोडी सी मीश्री मीलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से चालीस दिनों तक सेवन करें। इसके प्रयोग से शरीर में आई हर प्रकार की कमजोरी दूर होती हैं। शरीर में नया धातु बनने लगता हैं। और नपुंसकता दूर होती हैं।  

स्वप्नदोष - जीन नौजवानों को बार बार स्वप्नदोष होता हैं। रात को अपने आप ही विर्य निकल जाता हैं। विर्य बिल्कुल पतला हो गया है। तों ऐसी परिस्थिति में गोखरू के फल का चूर्ण पचास ग्राम, पिपल के कोमल पत्तों का चूर्ण पचास ग्राम और मिश्री सौ ग्राम सभी को अच्छी तरह से मिलाकर डिब्बे में रखें। इसमें से पांच पांच ग्राम चूर्ण को सुबह खाली पेट और रात को सोते समय ताजे पानी के लेते रहे। इससे पतला विर्य गाढ़ा होने लगता हैं और स्वप्नदोष भी ठीक होता हैं।

पेशाब में दर्द और खुन का आना- अगर किसी व्यक्ति के पेशाब में दर्द होता हैं और लाल रंग का पेशाब आता हैं तो दस ग्राम गोखरू के पंचांग का काढ़ा बनाकर मीश्री मीलाकर सुबह-शाम पीने से पेशाब में दर्द होना तथा पेशाब के साथ खून का आना ठीक होता हैं।

आर्थराइटिस - आर्थराइटिस के दर्द और सुजन को ठीक करने के लिए गोखरू बहुत ही फायदेमंद होता हैं। गोखरू के सुखें फल दस ग्राम, सोंठ दस ग्राम, और हल्दी की गांठ पांच ग्राम इन सभी औषधियों को हल्का हल्का कुटकर ढाई सौ ग्राम पानी में उबालें जब केवल पचास ग्राम पानी शेष रहें तब ईसको उतारकर छान कर सुबह-शाम पीने से कुछ ही दिनों में आर्थराइटिस का दर्द और सुजन ठीक होने लगती हैं। इसका प्रयोग लगातार कुछ दिनों तक करते रहें। इससे जरूर लाभ मिलता हैं। यह दवा एक बार की है। इसी प्रकार दिन में दो तीन बार यह काढा बनाकर पिएं।

प्रोस्टेट ग्रंथि की सुजन- प्रोस्टेट ग्रंथि की सुजन में तो गोखरू के समान दुसरी शायद ही कोई औषधि होगी। गोखरू के फल दस ग्राम को थोड़ा थोड़ा कुट ले फिर इसे दो सौ ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ सप्ताह तक सेवन करें। इससे प्रोस्टेट ग्रंथि की सुजन ठीक होती हैं। और पेशाब खुलकर आने लगता हैं।

खुन की उल्टीयां - अगर किसी कारणवश उल्टियों में खुन आ रहा हैं तो गोखरू दस ग्राम पिपल की छाल दस ग्राम दो सौ ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम मीश्री के साथ लेने से उल्टीयों में खुन का आना बंद होता हैं।

बवासीर में खून का आना- अगर किसी व्यक्ति को बवासीर के मस्सों से खून निकल रहा हैं तो गोखरू के फल और नागकेसर का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करें इससे बवासीर में खून का आना ठीक होता हैं।

आपके प्रश्न हमारे उत्तर

गोखरू से क्या फायदा होता हैं?

उत्तर - गोखरू का सेवन करने से पेशाब के रोग, कीडनी के रोग दूर होते हैं। इससे पेशाब साफ होकर पथरी ठिक होती हैं। साथ ही इससे नपुंसकता, स्वप्नदोष ठीक होता हैं।

गोखरू केसे खाना चाहिए?

उत्तर - गोखरू के सुखें फल का चूर्ण बनाकर दुध के साथ सेवन करना चाहिए। इसके पंचांग का काढ़ा बनाकर भी उपयोग में लाया जाता हैं।

गोखरू का चूर्ण बनाने की विधि?

उत्तर - गर्मीयों में जब गोखरू के सुखने लगते हैं तब इसको तोड़कर छाया में सुखाएं जब यह अच्छी तरह से सुख जाएं तब ईसको कुटकर चुर्ण बनाएं और उसमें बराबर मात्रा में मीश्री मीलाकर रखें। औषधीय प्रयोग में इसका सेवन करें।

गोखरू के फायदे किडनी के लिए?

उत्तर - गोखरू पेशाब और किडनी के रोगों में बहुत ही फायदेमंद होता हैं। ईसका सेवन नियमित रूप से कुछ दिनों तक करने से यह पेशाब की रूकावटें, पेशाब में दर्द होना पेशाब के साथ खून का आना ठीक करता हैं। और किडनी स्टोन को भी पिघला देता हैं।