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कड़वी तोरई के फायदे और नुकसान

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दोस्तों कड़वी तोरई एक आम बेलनुमा औषधि वनस्पति हैं जो हमारे देश के सभी भागों में काफी मात्रा में उगती हैं। इसको ढुंडने के लिए आप को ज्यादा कष्ट उठाने की कोई जरूरत नहीं है। यह बेल खेतों में और ग्रामीण क्षेत्रों में रोड के किनारे आसानी से देखी जा सकती हैं। इसकी पत्तियां पांच से सात कोण वाले तथा चार से पांच इंच तक लंबी तथा चौडी होती हैं।मीठि तुरई के समान, किंतु इससे थोडी छोटी होती हैं। इसके फुल पिले रंग के भीनी भीनी सुगंध लिए हुए होते हैं। इसमें नर और मादा दो तरह के पुष्प आते हैं। नर पुष्पों की पूष्पदंड आधा से एक फीट तक लंबी होती हैं। मादा पुष्पों में पूष्पदंड नही होते हैं। इसके फल तीन से छह इंच तक लंबे तथा सवा इंच तक मोटा होता हैं। फलों पर लगभग दस धाराएं होती हैं।

मात्रा - बिजों की गीरी 5-8 रत्ती, वमन के लिए 10-14 रत्ती इससे वमन होती हैं। 2-5 रत्ती कफ निकालने के लिए।

विभिन्न नाम - अंग्रेजी नाम - Bitter luffa, बोटेनिकल नाम - Luffa acutangula, संस्कृत नाम - घामार्गव, हिंदी नाम - कडवी तुरई।

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गुणधर्म - आयुर्वेदानुसार कड़वी तोरई तिक्त, चरपरी, तीक्ष्ण, कफ, पित्त, और आम का शोधन करने वाली,आध्मान, पंडु, कुष्ठ, प्लीहा वृद्धि,तथा शोथ, गुल्म, और विषनाशक मानी जाती हैं। इसमें दीपन, मुत्रल, विरेचक, वामक, शिरोविरेचनकारी,गुण भी पाए जाते हैं। कम मात्रा में लेने से भुख बढ़ाने वाली तथा उदर रोग को दूर करने वाली हैं।  मध्यम मात्रा में लेने से विरेचक तथा मुत्र खुलकर आता हैं, बडी मात्रा में लेने से वमन कारक, तथा पानी के समान शौच लाती हैं।

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 कई ग्रामीण वैद्य इसके फलों का उपयोग वमन और वीरेचन के लिए करते हैं। लेकिन इससे कयी बार ईच्छीत लाभ नहीं मिल पाता है। विरेचन और वमन के लिए इसके सुखे हुए बिजोंकी गीरी उत्तम कार्य करती हैं। उचीत मात्रा में इसकी बिजों की गीरी पानी के साथ लेने से शौच साफ होता हैं। और वमन होकर कफ भी निकल जाता हैं। 

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 कड़वी तोरई फांट - कड़वी तोरई के तंतुओं को एक तोला लेकर उसे बिस्तर औंस उबलते हुए पानी में डालकर एक घंटा रखें। फिर इसे उतारकर छान कर रखें। मात्रा एक से दो औंस।

कड़वी तोरई का हिम - इसके एक दो फलों को एक पिंट पानी में एक घंटे तक भीगोकर रखें और फिर छानकर रखें। मात्रा एक से दो औंस।

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औषधीय उपयोग - 

वमन के लिए - कड़वी तोरई का एक फल रात को एक सेर पानी में भिगोकर रखें सुबह ईसको छानकर इसमें से चालीस ग्राम पानी को पीलाएं इससे वमन होकर पेट साफ होता हैं। और पेट का अंबाला, वायु विकार, कफ, पित्त,पंडु प्लीहा गुल्म, आदि रोग दूर होते हैं।

तिव्र सीरदर्द - तिव्र सीर के दर्द में यह बहुत ही लाभदायक होती हैं। जब सीर में असहनीय दर्द हो रहा हैं और साथ ही नाक से भी दुषीत स्राव आ रहा हैं, मस्तक में कृमि हो गयें हैं तो इसके सुखे हुए फलों का चूर्ण नाक में नस्य करनें से कुछ ही समय में भयानक सीर का दर्द ठीक होता हैं। यह औषधि बच्चों,बुढों और कमजोर व्यक्ती को ना दें। 

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स्नायु सुजन - अगर किसी व्यक्ति को विषैले जंतुओं ने काट लिया हैं या फिर नारू की वजह से सुजन आई है तो इसके पत्तें को गर्म करके बांध दें इससे विषैले जंतुओं क विष दूर होकर सुजन ठीक होती हैं। इसके कच्चे फलों का रस लगाने से भी स्नायु की सुजन ठीक होती हैं।

बवासीर के मस्से - अगर किसी व्यक्ति के बवासीर के मस्से ठीक नहीं हो रहे हैं तो कडवी तुरई की जड़ को इसीके पत्तों के रस में पेस्ट बनाकर मस्सों पर लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्से झड जाते हैं।

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कामला रोग - इसके सुखे फल का महीन चूर्ण बनाकर इसका नस्य लेने से नाक से दुषीत स्राव निकलता जाता हैं और कुछ ही दिनों में कामला रोग ठीक होता हैं। इस नस्य को लेने से नाक में अगर ईर्रीटेशन हो रहा हैं तो थोडा सा देशी घी सूंघे इससे नाक का ईर्रीटेशन ठीक होता हैं।

चुहे का विष - अगर किसी व्यक्ति को विषैले चुहे ने काट लिया हैं तो इसका विष दूर करने के लिए । कड़वी तोरई का बांट, या हिम का सेवन करें इससे वमन होकर चुहें का विष दूर होता हैं।इसकी बड़ी मात्रा ना लें जीतनी मात्रा से वमन होती हैं उतनी ही मात्रा का प्रयोग करें।

दाद, खाज, एग्जीमा, कुष्ठ - अगर शरीर में कयी दिनों से दुषीत मल जमा हो रहा हैं। नियमित रूप से पेट साफ नहीं होता, तो फिर यह दुषीत मल कमी त्वचा रोगों का कारण बन सकता हैं। इससे त्वचा पर दाद, खाज खुजली ऐग्जीमा , सफेद दाग जैसी बिमारी मां उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसी परिस्थिति में कडवी तुरई का बांट एक दो औंस की मात्रा में दिन में दो बार लेने से शरीर का मल साफ होता हैं और सभी प्रकार के त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं।

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आपके प्रश्न हमारे उत्तर

कड़वी तोरई के फायदे?

उत्तर - कड़वी तोरई कफ, पित्त, पंडु, प्लीहा की सुजन, कुत्ते का विष, चुहे का विष दूर करने के लिए बहुत ही लाभदायक है।

कड़वी तोरई विषैली होती हैं ?

उत्तर - कडवी तोरई का बडी मात्रा में सेवन करने से वमन और पानी के समान शौच हो सकती हैं। इसीलिए इसका उचित मात्रा में सेवन करें।

कड़वी तोरई की सब्जी बनाई जाती हैं ?

उत्तर - नहीं, ज्यादातर लोग सब्जी बनाने के लिए मीठी छुरी का ही उपयोग करते हैं। कडवी तुरई केवल औषधि रूप में ही प्रयुक्त होती हैं।

कड़वी तोरई की मात्रा क्या हैं? 

उत्तर - कड़वी तोरई का फांट एक से दो औंस, और हिम की मात्रा भी एक से दो औंस दिन में दो बार।

कड़वी तोरई रक्त को शुद्ध करती हैं ?

उत्तर - जी हां, कड़वी तोरई सर्वाधिक में बहुत ही तिक्त होती हैं। इसका विर्य भी तिक्त होता हैं। ईसीके कारण यह रक्त को शुद्ध करने में भी लाभदायक है

दमा के रोगियों के लिए कड़वी तोरई लाभदायक होती हैं?

उत्तर - दमा के रोगियों में जब फेफड़ों में काफी मात्रा में कफ जमा होकर श्वास लेने में परेशानी हो रही हैं तो इसके बांट का उचित मात्रा में उपयोग करने से कफ निकलकर रोगी को आराम मील सकता हैं।

कुत्ते के विष को दूर करने के लिए कड़वी तोरई उपयोगी है।

उत्तर - कई ग्रामीण वैद्य इसका उपयोग कुत्ते का विष दूर करने के लिए भी करते हैं। ग्रामीण वैद्य इसके हिम को नियमित रूप से सात दिनों तक सेवन करवाते हैं उनके अनुसार यह हिम कुत्ते का विष चढ़ने नहीं देता हैं और साथ दिन के अंदर विष का पुर्ण प्रभाव दुर होता हैं। 

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